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Thursday, May 19, 2016

After Breakup, Create Culture!

After Breakup, Create Culture!

In life we all experiences unexpected and something devastating at some point of time. Sometime we thought of loosing the prospective of gaining any thing. It may be Breakup from Friend, Breakup from Job, Breakup from Relations or occurrence of unhappy thing/situation, knowingly 'failure', a term which disturbs and scattered the energy levels. It is a universal part in the life of us 'human'.

Sometimes while giving up after failure is the most devastating rather looking for the future challenging events. Each of us have gone through breakup at something in our lives, yet the live does't stop us from breathing.
After breakup hook up with the life, create the culture to overcome from the situations soon. Look after the reasons behind the breakup and try to overcome from that problem in the next event. I'm saying 'try', because we are human and we may be going with several happenings, things, events simultaneously with us at a single point of time
Here I put some points I have learned from the life, I lived. Looking forward and creating culture to overcome from the drastic situations, breakups, is the way to live life.

Breakup is not final, it is a startup of new job, new relations, new opportunities, new events, new challenges. The success, happiness come to those who fail more frequently, they create culture of trying all around and develop strength inside to tackle with situation more effectively and confidently.
Sometimes "It's over" or "why to try again" is the most frequent thoughts come in the person's mind after breakup. It is difficult to overcome from the drastic situation, but keeping a clear vision that look after the current circumstances creates a culture to move forward. After breakup empowering negative aspects is just like  killing a live either of the person or prospective.


Breakup is not fatal it comes to those who tries to accomplish any target, who lives the life, who sustain the situations, who delivers the probabilities. Breakup is nevertheless consider till you quit from the situation come in your way. Breakup at any point of time may affect creativity, will, spirit, vision, drive, desire, passion or dreams and allowing it to affect the life is just like inhaling poison to destroy the faith of life. Breakup is not of our choice but overcome from it is absolutely power of aspects which creates confident to try again.

Breakup is not forever, it is hard to believe when surrounded by breakups. It does't last until or unless we consciously choose to keep a track of loss occurred. The fact to overcome from breakup is to learn from it, not to fade down because you tried it. Breakup is another chance to re-invent, re-create, re-design, re-structure, re-define the culture to accomplish target. 

We have gone through the scientist Thomas Edison, who tried 9,999 different ways to develop a light bulb all of which failed until his 10,000th try when he invented light bulb. He created a culture of trying. He keeps trying until the objective accomplished.
The life of APJ Abdul Kalam Sir is another era from which you can learn, how to overcome from breakup. It is just because of creating culture of trying. 


#राजेश्वर_सिंह (#RajeshwarSingh)

Tuesday, May 15, 2012

परिवार और प्यार



आज १५ मई २०१२, विश्व परिवार दिवस है, यानि "वर्ल्ड'स फॅमिली डे", आप सभी को मेरी तरफ से शुभकामनाये, आप अपने परिवार के साथ सुखी, समपन्न, समृधि, सफल जीवन का आनंद ले......


ये बहुत अच्छा है कि इसी बहाने मै अपनी बात रख रहा हूँ, जो काफी दिनो से मेरे दिमाग में चल रही थी, कौध रही थी | यहाँ मै इक सवाल करना/पूछना/रखना चाह रहा हूँ (अपने बड़ो से, या असल कहिये कि आप बड़ो से इसका सीधा सरोकार है) और बताना चाह रहा हूँ {अपने हमउम्र भाइयो और बहनो से, क्यूकि हमारे दिमाग में कुछ गलतफहमिया है, या ये कहिये कि हम कुछ पथभ्रम में है (अगर बहन शब्द बुरा लगे तो माफ़ी चाहूँगा)}:-

हम सभी जानते है कि परिवार साधारणतया पति, पत्नी और बच्चो के समूह को कहते हैं, परन्तु हम भारतीयो के परिवार में तीन या तीन से अधिक पीढियो के व्यक्तियो का समूह होता है | आजकल की दुनिया (समय) में हम खुद को आधुनिक (मोडर्न) कहते है, अंग्रेजी में बाते करना हमारा सौभाग्य बनता है, लो-वेस्ट जींस पहनने से नही कतराते, पार्टियो में या वैसे भी सिगरेट, शराब (व्हिस्की कहना सही होगा) पीना स्टेटस की बात होती है पर, जब कोई लड़का खुद की पसंद की लड़की से शादी करने की बात करता है तो समाज, रिश्तेदार की समझ पता नही कहा से आ जाती है!!!

अब तक तो आप समझ ही गये होँगे कि मै किस मसले के बारे में बात करना चाह रहा हूँ:- जी हाँ! मै अपने गोरखपुर में रहने वाले पढ़े-लिखे सभ्य कहलाने वाले बुद्धिजीवी वर्ग की बात कर रहा हूँ, जो समझ में खुद को इक पढ़ा-लिखा समझदार नागरिक मानते है, वो परिवार के लिए बहुत ही मेहनत करते है | बच्चो को अच्छे से अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाते है, दिन भर ऑफिस, खेत, व्यापार में काम करते है, बच्चो को अच्छी से अच्छी सुविधाए देते है [शायद यहाँ आपमें से कुछ लोग मेरे विचारो से सहमत ना हो, पर हर इक माँ-बाप अपने बच्चो को अच्छा-से-अच्छा शिक्षा, सुविधा देने का प्रयास ज़रूर करते है, परन्तु कुछ अभागो के नसीब में ये नही होता {मेरा अभागा कहने का मतलब साफ़ यही है कि कुछ (बहुत कम) माँ बाप ऐसे भी होते है जो आर्थिक सम्पन्नता होने पर भी अपने बच्चो को उनके मूल आवश्यकताओ से दूर रखते है} पर यहाँ मै संपन्न वर्ग के अधिकतर लोगो की बात कर रहा हूँ जिनको सुविधाए दी जाती है, या जो सुविधाए देते है] | 

पढ़ने-लिखने के परिवार लड़के/लड़की के वर/वधु बनने का सपने देखने लगते है और उनको इस पारिवारिक-पवित्र-सूत्र बंधन में बांधने के लिए तत्पर हो जाते है, उनका ये दायित्व होता है, जिसको वो अपनी कार्यकुशलता से करना चाहते है, और करते भी है (मै मानता हूँ, और उनकी इस कुशलता की प्रशंसा भी करता हूँ) | 

पर सबसे मुश्किल तब होता है जब उनका लड़का/लड़की (जो विजातीय लड़की या लड़के से प्यार करने वाले) की शादी की जाती है (या करने की तैयारी की जाति है), तो सम-जाति-बिरादरी का ख्याल सबसे पहले आता है, मै यहाँ स्पष्ट करना चाहूँगा कि यहाँ मै केवल प्यार करने वाले व्यक्ति (लड़का/लड़की दोनो) की बात करना चाहूँगा, लड़के-लड़की से उसके बचपन में {२४ साल से पहले, (क्यूंकि उसके पहले शादी होना तो मुश्किल ही होता है)} कहा/बताया जाता है की वो जिस लड़की/लड़के को पसंद करेगा/करेगी, उसका/उसकी विवाह उसी लड़की/लड़के से करा दी जाएगी, हो जाएगी | परन्तु जब वक्त आता है अपने बातो को रखने को, तो, वो अपने लड़के/लड़की की शादी के लिए सम-जाति की तरफ चले जाते है, या यो कहिये कि उनकी शादी सम-जाति में ही करा दी जाती है, उनके प्यार को भुलवा दिया जाता है या फिर उनके प्यार का, भावनाओ का सरेआम क़त्ल कर दिया जाता है | जब लड़का/लड़की उनसे अपने दिल की बात बताता है, समझाना चाहता है, कहना चाहता है तो वो बुद्धिजीवी, पढ़ा-लिखा, सभ्य वर्ग (हमारे पूज्यनीय, आदरणीय) सीधे इन बात पर ही आते है, ये तर्क रखते है हमारे सामने:-

१. वो अलग बिरादिरी की है, हमारी रहन-सहन कैसे सीख पायेगी?? 
२. तुमको पढ़ाने-लिखने के लिए हमने क्या कुछ नही किया? इतने पैसे खर्च किये तुम्हारे पढाई पर (लडको के मामलो में अक्सर सुनने को मिलता है) |
३. समाज की सोचो, लोग क्या कहेंगे? 
४. तुम्हारे परिवार में पहले किसी ने पहले ऐसा नही किया, तुम सोच भी कैसे सकते हो??
५. तुमसे छोटी तुम्हारी भाई-बहने है, उनपर क्या असर पड़ेगा??
६. उस लड़के/लड़की के लिए तुम हमे छोड़ रहे हो?

वो भी जानते है कि इन तर्कों का कोई महत्व नही है, खासकर उन्ही की अपनी व्यक्तिगत सोच में भी पर समाज को ज्यादा सोचते है | और आखिर में जब लड़का या लड़की उनको कहते है की वो अपनी मर्ज़ी का करेंगे तो पूज्यनीय बड़े लोग सीधे सम्बन्ध तोड़ने की बात पर आ जाते है| और उनका यही उत्तर होता है "जब अपनी ही करनी है तो हमसे क्यू कह रहे हो, जाओ जो मान में आये करो, पर आज के बाद हमारी शक्ल भी देखने नही आना, आज से हम तुम्हारे लिए मर गये |" जबकि वहा पर लड़का या लड़की कोई भी अपने परिवार को छोड़ने कि बात भी नही करता है, या परिवार छोधने की इक सोच भी अन्दर तक झकझोर देती है | 

मै अपने आदरणीयो से ये प्रश्न करना चाहता हूँ कि, "क्या वजह है कि इतने आधुनिकता में जीते हुए भी हमारे पूज्यनीय ऐसा करते है, समाज का डर अपने बच्चे के प्यार से बढ़कर है या फिर उन्हें अपने बच्चो के पसंद पर भरोशा नही होता?"

और मै अपने हमउम्र और स्नेहिल छोटो से चाहूँगा कि वो भी अपना विचार रखें, शायद हमे कुछ नया जानने/सीखने को मिल जाये|


नोट:- ये पूरा लेख मैने खुद तैयार किया है, या यो कहिये मेरे दिमाग के किसी कोने में बैठे एक लेखनी का कमाल है जो कुछ बुद्धिजीवियो के सोच को समझना चाहता है, या फिर किसी के दर्द का उल्लेख है, कटाक्ष है............ मैंने अपने शब्दो को आपके सामने रखने में काफी एहतियात रखा है और अगर इसके बाद भी कोई त्रुटी रह गयी हो तो माफ़ी चाहूँगा.........

यदि कोई टिपण्णी करना, सुझाव देना चाहते है तो ज़रूर लिखे, आपके शब्दो का इंतज़ार है |

परिवार और प्यार
सप्रेम, 
राजेश्वर सिंह 'राज्श'
www.rajeshwarsh.blogspot.in


Monday, September 5, 2011

अध्यापक दिवस की हार्दिक शुभकामनाये

Hi I am Rajeshwar Singh From Gurgaon, Haryana, INDIA.........


मेरे जिंदगी के प्यारे, विनम्र, सुविचारी गुरुजन
अध्यापक दिवस कि हार्दिक शुभकामनाये,
मेरे दिल से आप सभी को नमन!
छूकर आप सभी के चरण कमल! 
आप ही थें जिन्होंने मुझे एस काबिल बनाया
आप ही हैं जो मुझे इस लायक बनाया
कि दुखी मन में मुस्कुरा सकूँ,
हताश होने पर भी लड़ सकूँ|
निराशा के समय भी पा सकूँ,
दुविधा के समय भी बढ़ सकूँ||



अध्यापक दिवस की हार्दिक शुभकामनाये,
मेरे दिल से आप सभी को नमन!
छूकर आप सभी के चरण कमल! 

अध्यापक दिवस की हार्दिक शुभकामनाये,
BY :
राजेश्वर सिंह

Sunday, July 24, 2011

वादिया और एहसास

Hi, I am Rajeshwar Singh, Razu for friends, here with my love, from Srinagar, J&K, India:-

तुम्हारी याद आज मुझे फिर से हँसा गया
तुम्हारी याद में मै फिर से मुस्कुरा गया
यादों में फिर से डूब गया ये दिल
ये दिल फिर तुम पर य़ू ही छा गया

हवा के मानिंद झोके एहसास कराने लगे
जैसे गुजरा हो तुम्हारा दुपट्टा मेरे सामने से
यहाँ की वादियो की हरी भरी हरियाली 
मदहोश करने लगी तुम्हारे प्यारे यादों में 

मरने को जी करता है 
यहाँ की खुबसूरत हसीनाओ पर
पर क्या करूँ मै इस दिल का
जो पहले ही मर मिटा है तुम पर

हवा की सर्र सर्र आवाज़े ऐसी लगती है
जैसे अभी-२ राजू कहकर तुम गुज़री हो 
पलकों के झपकने पर दिल ढूंढ़ लाता है
खुबसूरत चेहरा, जैसे कोई गुलाब अभी-२ खिला हो

जब भी लुत्फ़ उठाता हूँ किसी खास व्यंजन का
तुम्हारे नरम-मुलायम हाथो का एहसास हो ही जाता है
जब भी घूमता हूँ किसी नए जगह पर
तुम्हारा प्यारा एहसास साथ हमेशा होता है

सोने ना देती है ये खुबसूरत वादिया
एहसास कराती है तुम्हारे साथ का
खोया रहता हूँ तुम्हारे इस बेहतरीन साथ में 
क्यूंकि ये एहसास ही मुझे खुश रखता है

वादिया और एहसास
By:
राजेश्वर सिंह 'राजू'

Monday, June 20, 2011

रात और ख्याल

Hi I am Rajeshwar Singh from Kamareddy, Andhra Pradesh, INDIA.........

My heartbeat runs 72 times per minute, Some times when my heart feels emotions about close-one & jumps more than 72 times per minute, I like to create these stupid lines. I pleased, smiled on my self while I was writing these lines.

रात और ख्याल
आज रात तुम आये मेरे ख्यालों में,
गुम हो गया तुम्हारे बहकी सांसो में| 
भूल गया खुद को तुम्हारे बातों में,
उलझा रहा पूरी रात तुम्हारे बालों में||
आज रात तुम फिर आये मेरे ख्यालों में| 
आज रात तुम आये मेरे ख्यालों में||

आज रात तुम आये मेरे ख्यालों में, 
तुम जो शरमा कर बैठे मेरे आगोश में| 
बिछ गयी इस कदर मेरे अल्फाजों में,
परवाह ना रहा तुम्हे खुद का मेरे बाँहों में||
खो गया मै भी काले नैनो की बादलो में|  
आज रात तुम फिर आये मेरे ख्यालों में|| 

आज रात तुम आये मेरे ख्यालों में,
ना फिक्र रही घडी की सुइयों का हमें|
जो मिल गयी तुम्हारे होठो की लाली हमें,
डूब गया मै तुम्हारे लबों की नमी में|| 
पूरी रात ऐसे कट गयी तुम्हारे साथ में|
आज रात तुम फिर आये मेरे ख्यालों में||

आज रात तुम आये मेरे ख्याल में,
तुम भी हो गयी पगली, पगले के साथ में|
पहले थीं अन्जानी इस अन्जान के याद में,
खुद का पहचान ढूंढने लगी मेरे पहचान में|| 
मैं भी जीने लगा उस पगली के प्यार में| 
आज रात तुम फिर आये मेरे ख्याल में||
पूरी रात ऐसे कट गयी तुम्हारे साथ में|
आज रात तुम फिर आये मेरे ख्यालों में||

रात और ख्याल
By:-
राजेश्वर सिंह 'राज़्श'

Tuesday, February 8, 2011

मंजिल

Hi I am Rajeshwar Singh from Hyderabad INDIA.........

Date: 18th Aug'10, 12:00 PM
Location: Gurgaon

तेरी आँखों में अपनापन है
यादों में बस तेरा ही ख्याल है
ज़ीने की चाहत होती है तेरे साथ में
होंगे हम साथ कुछ दिन में
जीयेंगे हम अपने जिंदगी को साथ में
पाएंगे खुशिया हम हर हाल में
मुस्कुराएंगे हम इक-दूजे के साथ में

हाथ होंगे  इक-दूजे के हाथ में
हमारे साँसों में इक ही खुशबु होगी
आँखों में य़ू ही अपनापन होगा

अपलक देखने को जी करता है
साथ टहलने को जी करता है
इस पल इक-दूजे से दूर सही
अपनी मंजिल है साथ में ही
जीना है जिंदगी कुछ औरो के लिए भी
वो लोग भी अपने ही है
उनके जीवन स्तर को सुधारना है
तुम य़ू ही हर पल मुस्कुराते रहो
मेरे खुशियों को य़ू ही बढ़ाते रहो
पाए हम अपने खुशियों को
पाए हम अपने मंजिल को
य़ू ही रहे ब्यूटी बरकरार
बनी रहे बेबी की मुस्कान
हम सब पाए अपनी मंजिल
साथ चले जिंदगी का कारवां


मंजिल
By: राजेश्वर सिंह 'राज्श '

Tuesday, November 2, 2010