Monday, February 14, 2011

क्या कहू

Hi I am Rajeshwar Singh from Visakhapatnam,  INDIA.........

मै तुमसे क्या कहू, प्यार कहू या फिर इकरार
वैसे तो सब कह देता हू तुमसे बिना कहे हुए
बता देता हू मै अपने अल्फाजो को
बिना बताए हुए, बिना सुनाये हुए

क्यू तुम्हे खोने का डर सा लगता है
हाथ छूटने का डर सा लगता है
गर तुम दिख जाओ मेरे सपनो में भी तो
सारा दिन ख़ुशी से गुज़र जाता है

तुम सुनाओ अपने इक छोटी सी दर्द भी तो
मै उसको सिरीयसली ले लेता हू
मेरे आँखों में आंसू आ जाते है
जब भी तुम्हारा मन दुखी होता है

मै कह देता हू हर इक बात तुमसे
सुना देता हू अपने दिल की हाल तुमसे
शायद तुम्हे नही है मालूम ये बाते 
शायद तुम्हे नही मालूम मेंरे बारें में


क्या कहू
By: राजेश्वर सिंह 'राज्श '

याद करे कैसे

Hi I am Rajeshwar Singh From Gorakhpur INDIA.........

सभी प्यारे-प्यारे साथियों को मेरा प्रेम भरा नमस्कार.....

प्यार में जीना-प्यार में मरना कोई हमसे सीखे
रहते है बिन बदमाशी के अब जिंदगी में कैसे
ना मालूम हमे अपनी ही हालत इस पल में
तो आप लोगो का हालचाल पूछे कैसे
यादो के घर में रहते हो आपलोग हरदम
फिर अपनों को याद करे तो करे कैसे
फिर भी याद करे तो करे कैसे?


याद करे कैसे
By: राजेश्वर सिंह 'राज्श '

Tuesday, February 8, 2011

मंजिल

Hi I am Rajeshwar Singh from Hyderabad INDIA.........

Date: 18th Aug'10, 12:00 PM
Location: Gurgaon

तेरी आँखों में अपनापन है
यादों में बस तेरा ही ख्याल है
ज़ीने की चाहत होती है तेरे साथ में
होंगे हम साथ कुछ दिन में
जीयेंगे हम अपने जिंदगी को साथ में
पाएंगे खुशिया हम हर हाल में
मुस्कुराएंगे हम इक-दूजे के साथ में

हाथ होंगे  इक-दूजे के हाथ में
हमारे साँसों में इक ही खुशबु होगी
आँखों में य़ू ही अपनापन होगा

अपलक देखने को जी करता है
साथ टहलने को जी करता है
इस पल इक-दूजे से दूर सही
अपनी मंजिल है साथ में ही
जीना है जिंदगी कुछ औरो के लिए भी
वो लोग भी अपने ही है
उनके जीवन स्तर को सुधारना है
तुम य़ू ही हर पल मुस्कुराते रहो
मेरे खुशियों को य़ू ही बढ़ाते रहो
पाए हम अपने खुशियों को
पाए हम अपने मंजिल को
य़ू ही रहे ब्यूटी बरकरार
बनी रहे बेबी की मुस्कान
हम सब पाए अपनी मंजिल
साथ चले जिंदगी का कारवां


मंजिल
By: राजेश्वर सिंह 'राज्श '

तुम्हारी आँखे

Hi I am Rajeshwar Singh from Hyderabad INDIA.........

Date: 7th Feb'11, 1:00 AM
Location: Hyderabad


तेरी आँखों को जब देखा कमल कहने को जी चाहा 
मैं शायर तो नहीं पर ग़ज़ल कहने को जी चाहा
रातो को तन्हाई में, यादो में भी तेरा याद आया
आँखों ने भी केवल तेरा अक्श बनाया
लिखता गर कोई ग़ज़ल तुम पर तो धुन खुद ही मिल गयी
झील सी आँखों में  झाँका तो तुम्हारी मासूम आँखे शरमा गयी
खुदा ने तुम्हे बहुत मेहनत के बाद बनाया
फिर तुमको इस दुनिया में मुझसे मिलाया

 तुम्हारी आँखे
By: राजेश्वर सिंह 'राज्श '