Friday, November 26, 2010

"अपनापन"

Hi I am Rajeshwar Singh From Gorakhpur INDIA.........
दिनांक: २१ अक्टूबर'१०
समय: १:०० रात

१. उन दो आँखों में अपनापन लगता है
डूब जाने को मेरा जी करता है
कल क्या होगा ना मुझे पता ना तुम्हे पता
फिर भी कल तुम्हारे साथ जीने को मन करता है.

२. सफ़र में होता हू जब भी तुम्हारे साथ में
दिल में इक कशमकश सा होता है
जब हो जाते है तुम्हारे हाथ मेरे हाथो में
जिंदगी के हसीन कारवे साथ लगता है

३.जब भी देखता हू उन मासूम सी आँखों में
बावरा ये मेरा दिल ऐसे मचलता है
जैसे चमन के अधखिले कलियों पे
भौरों का झुण्ड मंडराता है
डूबकर पहुच जाऊ उस प्यारे दिल में
ऐसी हमेशा ख्वाहिश रहती है
दर्शन कर लू उन दरो दीवारों के
जिस पर मेरा नाम हर जगह लिखा है

४. तुमसे कह दू अपने दिल की बात
क्या तुम मेरा दोगी साथ
जीवन के कठिन डगर पर
हर इक सफलता के साथ
मेरे परेशानियों पर
परेशान होगी मेरे साथ
उम्र के उस अंतिम दहलीज़ पर
डाटोगी मेरे गलतियों पर
याद करके पुराने दिनों को
और फिर हँसोगी मेरे साथ?



अपनापन---
राजेश्वर सिंह 'राज्श'




नोट: इस पंक्तियों को कुछ दिनों में और बढ़ाऊंगा......

एक मशहूर शायर ने कहा है----

किसी पत्थर में मूरत है, कोई पत्थर की मूरत है
लो मैंने देख ली दुनिया जो इतनी खुबसूरत है 
जमाना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर है
तुम्हे मेरी ज़रूरत है मुझे तेरी ज़रूरत है 

कोई कब तक महज सोचे कोई कब तक महज गाए?
अल्लाह क्या ये मुमकिन है क्या कुछ ऐसा हो जाये
मेरा मेहताब उसके रात के आगोश में पिघले
मै उसके नीद में जागु वो मुझमे घुल के सो जाये...

बदलने को तो इन आँखों के मंजर कब नही बदले
तुम्हारे याद के मौसम हमारे गम नही बदले
तुम अपने कर्म में हमसे मिलोगी तब तो मानोगी 
ज़माने और सदी के इस बदलने में हम नही बदले


कवि: डॉ. कुमार विश्वास 

"इलज़ाम मुझ पर"

Hi I am Rajeshwar Singh From Gorakhpur INDIA.........

Date: 23rd May'10
Time: 2:35 PM

मुझ पर है सैकड़ो इलज़ाम 
मेरे साथ ना चला करो
होने लगेगी तुम पर भी छीटाकशी 
बढ़ जाएगी इल्जामो की गिनती
कर बैठूँगा कुछ मै उन लोगो से
जो करेंगे छीटाकशी तुम पर
हम रहे अकेले तन्हा अभी सही है
पर बातें य़ू ही करते रहेंगे
जब भी चलना अकेले कहीं पर
महसूस करना मुझको अपने पास
हाथ मेरा है तुम्हारे हाथ में
साथ मेरा है तुम्हारे साथ
मै हूँ हर पर पल तुम्हारे पास तुम्हारे साथ. 

इलज़ाम मुझ पर--
राजेश्वर सिंह 'राज्श'

"तुम्हारी यादें"

Hi I am Rajeshwar Singh From Gorakhpur INDIA.........
स्थान- लखनऊ
दिनांक- २३ अक्टूबर'10
समय- १:३० रात

यादें बनकर उभरती है
तुम्हारे माथे की खुबसूरत लटें
मुस्कुराने पर इक चाहत सी जगाती है
चेहरे की वो कातिलाना मुस्कुराहटें
तन्हा बैठने पर याद आती है
लब वो तुम्हारे, मैगी खाते फ्रूटी पीते
जब भी मेरे ये आँखें झपकती है
ख्याल आता है वो मासूम पलकें
अनुभव मुझको, अपनेपन का कराती है
वो काज़ल वाली तुम्हारी आखें
ज़ेहन में इक जादू सा चलती है
वो धक्-धक् करती तुम्हारी सांसें
सारे दुःख-दर्द मिट जाती है
जब हो जाती है बातें तुमसे 
हमारा साथ इस दुनिया को ये सिखाती
मुझमे-तुझमे है अपनापन, चाहे हो जितने लड़ाई-झगडे
तर्क-वितर्क हम-तुम में होती ही रहती है
इक-दूजे के और करीब लाती है हमारी बातें

तुम्हारी यादें--
राजेश्वर सिंह 'राज्श'

Tuesday, November 2, 2010

Happy Diwali to all

Hi I am Rajeshwar Singh From Gorakhpur INDIA.........


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For my belove one

Hi I am राजेश्वर सिंह From गोरखपुर, भारत.........

तुम इतने खुबसूरत हो कि
ये मेरे अलफ़ाज़ य़ू निकल गए
तुम मिल गये मुझे जिंदगी में
तो ये काफिले मेरे बढ़ गए............


गुथूं कुछ शब्द अपने अल्फाजो के
ग़ज़ल बन जाता है तुम पर
उस पर निखार आ ही जाता है
जब भी निहार लेते हो तुम उन पर
बहक जाता हूँ जब भी कुछ बयां करता हूँ
तुम्हारा शबाब ही भारी पड़ता है सब पर
भोर पहर में बागो से कोयल की मीठी बोली
सुरीली राग भी कम पड़ जाता है तुम्हारे मीठे बोलो पर
सोचूं गर कोल्ड ड्रिंक्स पीने को
मज़ा, फ्रूटी खुद ब खुद आ जाता लब पर
राह चलते भी चेहरा याद आता है
जब भी नज़र पड़ती है हसीनाओ पर
होठो पर कुछ बोल आ ही जाता है
बाते करते हुए मुस्कुराना तुम्हारा याद आने पर
उन आँखों में अपनापन लगता है
जो मिलती है औरो से चुराकर

नर्म हाथो से माथे पर टीका लगवाने को जी चाहता है
जो लगाते थे तुम अपने नयनो से हटाकर
तुमसे हर बात पर ही तकरार ही होता है
फिर भी हम करते है इक दूजे से प्यार