Sunday, December 30, 2012

दामिनी, क्या तुम्हारा लड़की होना अपराध था?


यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।।
जिस कुल में नारियों कि पूजा, अर्थात सत्कार होता हैं, उस कुल में दिव्यगुण, दिव्य भोग और उत्तम संतान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों कि पूजा नहीं होती, वहां जानो उनकी सब क्रिया निष्फल हैं।

पूरा भारत दुखी है, शर्मस़ार है। आज एक दामिनी का दामन में दाग लगाकर, उसके परिवार के सपनो को चकनाचूर करके, जिस तरह उन अपराधियो को जेल में सरंक्षण दिया जा रहा है और इसका विरोध करने वालो पर अत्याचार किया जा रहा है। और जिस तरह इस मामले में सरकार का रवैया है तो आज मैं खुद भारतीय होने पर शर्मिंदा हूँ । विदेशी दोस्त चैट पर पूछते है की तुम्हारे देश की सरकार इतनी निकम्मी है कि वो कायदे कानून का पालन ना करवा सके। मुझे तो लगता है कि भारत में तो कायदे कानून चड्ढा भाइयो के लिए है, अम्बानी बंधुओ के लिए है, नेताओं के लिए है, नेताओं के परिवार वालो के लिए है .............


मैं अपने देश के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह (कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पढ़े, महान अर्थशास्त्री), गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे (कांस्टेबल से बढ़ते बढ़ते मंत्री बने ) और गृह राज्यमंत्री कुवंर आर पी एन सिंह (पड़रौना राज परिवार के कुवंर ) अपने देश के नाम संबोधन (पत्रकार वार्ता ) में ये कहते है "हमारे भी तीन-तीन बेटियां है, हम उस लड़की के परिवार पर बीत रहे दर्द को समझ सकते हैं और हम अपराधियों को सजा दिलाने का आश्वासन दे रहें है"। ऐसा इन तीनो मंत्रियो ने कहा था, ऐसा मैंने अखबार में पढ़ा था ।

मुझे कुछ चीज़े पूछनी रह जाती है :-

1. आप सभी हम जनता द्वारा चुने गये, हम पर हुकूमत करने वाले सरकार हो । क्या आप के पास इतनी सी भावना नही की आप उन नारियों का दर्द सुन सके?
2. आप सभी की 3-3 बेटियां है, पर आपकी बेटियां कभी अकेले कहीं निकलती है और क्या देश में बाकी बेटियां आपकी बेटियां नही है?
3. आप आश्वासन तो दे देते हो, उन पर अमल कब करना कब शुरू करोगे?
4. माना कि जिंदगी में आप लोग बहुत व्यस्त रहते हो, पर क्या इतना भी टाइम नही कि  देश (शब्द) के बारे में सोच सको, भारत के बारे में सोच सको?
5. आप सभी जाने-माने उच्च वर्ग के महानुभाव है, तो इसका मतलब ये नही कि आप हम गरीबो (पैसे की बात नही, संरक्षण के मामले में क्यूंकि हम अपने सरंक्षण के लिए पुलिस का सहारा लेते है) का दुःख-दर्द ना सुन सके ।
6. माना कि सविंधान में बहुत सारे प्रावधान है, पर उनका अमल करना और कराना तो शुरू कीजिये।
7. मनमोहन जी, आप अपने विवेक और बुद्धि का प्रयोग कभी तो करिए, बस रुपये को 17 से 57 प्रति डॉलर (1992 से 2012) करने से तरक्की नही हुयी ।

बस मैं ये कहूँगा, लोगो किसी के हाथ की कठपुतली मत बनो, अपने विवेक और भावनाओ को समझो, सोचो और उनका क़द्र करो।।

आशा है ये लेख, जो मेरे दिल के दर्द को थोड़ा सा ही बयाँ कर रही है, को पढ़कर थोड़ी सी आँख खुले ऐसी आशा करता हूँ, बस अपने आँखों को जान-बूझकर बंद मत रखना, शुतुरमुर्ग की तरह, इंसान बनो।

ये लेख, दामिनी और उसके जैसे शिकार महिलाओं को श्रद्धांजली स्वरूप भेंट है , भगवान् उनके आत्मा को शांति दे।।।।।

दामिनी, क्या तुम्हारा लड़की होना अपराध था?
राइटिंग इन सैड मूड।।।।

राजेश्वर सिंह 'एक शर्मिंदा भारतीय'

Tuesday, December 25, 2012

वर्मा समिति को ज़रूर लिखें


केवल फेसबुक पर ब्लैक पिक्चर और पोस्ट से महिलाओ के संरक्षण एवं सुरक्षा के बारे में कुछ नही होगा |
महिलाओ के संरक्षण एवं सुरक्षा से सम्बंधित आपराधिक कानूनो में संशोधन पर सरकार द्वारा बनाई गयी 'वर्मा समिति' सुझाव आमंत्रित कर रही है | आप सभी अपने सुझाव justice.verma@nic.in पर इ-मेल करें |


आप अपने विचार, अनुभव 5 Jan'13 से पहले ज़रूर प्रस्तुत करें और भारतीय महिलाओ के सुरक्षा और संरक्षण के लिए सख्त से सख्त कानून के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाए......


अधिक जानकारी के लिए लिंक पर जाएँ:-



http://www.thehindu.com/news/national/justice-verma-committee-begins-work-seeks-public-comments/article4235212.ece

Tuesday, December 18, 2012

वाक अगेंस्ट रेप ..........

आज सुबह जब अखबार उठाया तो पहले पन्ने पर ही एक सामूहिक दुष्कर्म का मामला पढने को मिला, ये दुखद समाचार सुनकर बहुत दुःख हुआ, उस पर ये मामला देश की राजधानी में! मैं दिल्ली पुलिस की बहुत तारीफ़दारी करता था, जब देखो तब नाकाबंदी, और पुलिस के बन्दे चेकिंग के लिए मुस्तैद, पर इस समाचार को सुनकर बहुत ही आघात पहुंचा, मैं बस ये चाहता हूँ की अपने भारत में भी क़ानून इतना कठोर और तेज कार्यवाई वाली बने कि ऐसे दरिंदो को ज़ल्दी से ज़ल्दी सज़ा मिले................

वाक अगेंस्ट रेप 

Thursday, December 13, 2012

मेरे शब्द : एक श्रद्धांजलि




हमसे दूर होकर ‘चाचा जी’ आप जिंदा हो, हमारे यादों में:-
ये शब्द मैं अपने परिवार “सिंह कुटुंब” की तरफ से स्व* श्री उमा शंकर सिंह को श्रद्धांजलि स्वरुप लिखा हूँ:-

इस तरह अचानक हमारा साथ छोड़ चले जाना. साँसों से रूठकर हम सभी से रिश्ता तोड़ जाना |
झोके की तरह हमारे जिंदगी से दूर हो जाना, भगवान् ने फिर से हैं बताया अंत में है रुलाके जाना ||
अब हमारे साथ है आपके यादों का पुलिंदा, आपके आशीर्वादों, आपके विचारो का सहारा|
अपने नन्हे पग से हम चढ़ रहे है ऊपर की तरफ, अब तो है बस मंजिलो को पाना ||

हे भगवान्! चाचा जी के आत्मा को शांति दीजिये.............