Sunday, December 30, 2012

दामिनी, क्या तुम्हारा लड़की होना अपराध था?


यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।।
जिस कुल में नारियों कि पूजा, अर्थात सत्कार होता हैं, उस कुल में दिव्यगुण, दिव्य भोग और उत्तम संतान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों कि पूजा नहीं होती, वहां जानो उनकी सब क्रिया निष्फल हैं।

पूरा भारत दुखी है, शर्मस़ार है। आज एक दामिनी का दामन में दाग लगाकर, उसके परिवार के सपनो को चकनाचूर करके, जिस तरह उन अपराधियो को जेल में सरंक्षण दिया जा रहा है और इसका विरोध करने वालो पर अत्याचार किया जा रहा है। और जिस तरह इस मामले में सरकार का रवैया है तो आज मैं खुद भारतीय होने पर शर्मिंदा हूँ । विदेशी दोस्त चैट पर पूछते है की तुम्हारे देश की सरकार इतनी निकम्मी है कि वो कायदे कानून का पालन ना करवा सके। मुझे तो लगता है कि भारत में तो कायदे कानून चड्ढा भाइयो के लिए है, अम्बानी बंधुओ के लिए है, नेताओं के लिए है, नेताओं के परिवार वालो के लिए है .............


मैं अपने देश के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह (कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पढ़े, महान अर्थशास्त्री), गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे (कांस्टेबल से बढ़ते बढ़ते मंत्री बने ) और गृह राज्यमंत्री कुवंर आर पी एन सिंह (पड़रौना राज परिवार के कुवंर ) अपने देश के नाम संबोधन (पत्रकार वार्ता ) में ये कहते है "हमारे भी तीन-तीन बेटियां है, हम उस लड़की के परिवार पर बीत रहे दर्द को समझ सकते हैं और हम अपराधियों को सजा दिलाने का आश्वासन दे रहें है"। ऐसा इन तीनो मंत्रियो ने कहा था, ऐसा मैंने अखबार में पढ़ा था ।

मुझे कुछ चीज़े पूछनी रह जाती है :-

1. आप सभी हम जनता द्वारा चुने गये, हम पर हुकूमत करने वाले सरकार हो । क्या आप के पास इतनी सी भावना नही की आप उन नारियों का दर्द सुन सके?
2. आप सभी की 3-3 बेटियां है, पर आपकी बेटियां कभी अकेले कहीं निकलती है और क्या देश में बाकी बेटियां आपकी बेटियां नही है?
3. आप आश्वासन तो दे देते हो, उन पर अमल कब करना कब शुरू करोगे?
4. माना कि जिंदगी में आप लोग बहुत व्यस्त रहते हो, पर क्या इतना भी टाइम नही कि  देश (शब्द) के बारे में सोच सको, भारत के बारे में सोच सको?
5. आप सभी जाने-माने उच्च वर्ग के महानुभाव है, तो इसका मतलब ये नही कि आप हम गरीबो (पैसे की बात नही, संरक्षण के मामले में क्यूंकि हम अपने सरंक्षण के लिए पुलिस का सहारा लेते है) का दुःख-दर्द ना सुन सके ।
6. माना कि सविंधान में बहुत सारे प्रावधान है, पर उनका अमल करना और कराना तो शुरू कीजिये।
7. मनमोहन जी, आप अपने विवेक और बुद्धि का प्रयोग कभी तो करिए, बस रुपये को 17 से 57 प्रति डॉलर (1992 से 2012) करने से तरक्की नही हुयी ।

बस मैं ये कहूँगा, लोगो किसी के हाथ की कठपुतली मत बनो, अपने विवेक और भावनाओ को समझो, सोचो और उनका क़द्र करो।।

आशा है ये लेख, जो मेरे दिल के दर्द को थोड़ा सा ही बयाँ कर रही है, को पढ़कर थोड़ी सी आँख खुले ऐसी आशा करता हूँ, बस अपने आँखों को जान-बूझकर बंद मत रखना, शुतुरमुर्ग की तरह, इंसान बनो।

ये लेख, दामिनी और उसके जैसे शिकार महिलाओं को श्रद्धांजली स्वरूप भेंट है , भगवान् उनके आत्मा को शांति दे।।।।।

दामिनी, क्या तुम्हारा लड़की होना अपराध था?
राइटिंग इन सैड मूड।।।।

राजेश्वर सिंह 'एक शर्मिंदा भारतीय'

Tuesday, December 25, 2012

वर्मा समिति को ज़रूर लिखें


केवल फेसबुक पर ब्लैक पिक्चर और पोस्ट से महिलाओ के संरक्षण एवं सुरक्षा के बारे में कुछ नही होगा |
महिलाओ के संरक्षण एवं सुरक्षा से सम्बंधित आपराधिक कानूनो में संशोधन पर सरकार द्वारा बनाई गयी 'वर्मा समिति' सुझाव आमंत्रित कर रही है | आप सभी अपने सुझाव justice.verma@nic.in पर इ-मेल करें |


आप अपने विचार, अनुभव 5 Jan'13 से पहले ज़रूर प्रस्तुत करें और भारतीय महिलाओ के सुरक्षा और संरक्षण के लिए सख्त से सख्त कानून के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाए......


अधिक जानकारी के लिए लिंक पर जाएँ:-



http://www.thehindu.com/news/national/justice-verma-committee-begins-work-seeks-public-comments/article4235212.ece

Tuesday, December 18, 2012

वाक अगेंस्ट रेप ..........

आज सुबह जब अखबार उठाया तो पहले पन्ने पर ही एक सामूहिक दुष्कर्म का मामला पढने को मिला, ये दुखद समाचार सुनकर बहुत दुःख हुआ, उस पर ये मामला देश की राजधानी में! मैं दिल्ली पुलिस की बहुत तारीफ़दारी करता था, जब देखो तब नाकाबंदी, और पुलिस के बन्दे चेकिंग के लिए मुस्तैद, पर इस समाचार को सुनकर बहुत ही आघात पहुंचा, मैं बस ये चाहता हूँ की अपने भारत में भी क़ानून इतना कठोर और तेज कार्यवाई वाली बने कि ऐसे दरिंदो को ज़ल्दी से ज़ल्दी सज़ा मिले................

वाक अगेंस्ट रेप 

Thursday, December 13, 2012

मेरे शब्द : एक श्रद्धांजलि




हमसे दूर होकर ‘चाचा जी’ आप जिंदा हो, हमारे यादों में:-
ये शब्द मैं अपने परिवार “सिंह कुटुंब” की तरफ से स्व* श्री उमा शंकर सिंह को श्रद्धांजलि स्वरुप लिखा हूँ:-

इस तरह अचानक हमारा साथ छोड़ चले जाना. साँसों से रूठकर हम सभी से रिश्ता तोड़ जाना |
झोके की तरह हमारे जिंदगी से दूर हो जाना, भगवान् ने फिर से हैं बताया अंत में है रुलाके जाना ||
अब हमारे साथ है आपके यादों का पुलिंदा, आपके आशीर्वादों, आपके विचारो का सहारा|
अपने नन्हे पग से हम चढ़ रहे है ऊपर की तरफ, अब तो है बस मंजिलो को पाना ||

हे भगवान्! चाचा जी के आत्मा को शांति दीजिये.............



Sunday, November 4, 2012

ज़ज्बात !!!!


पिंजरे से निकालो अपने ज़ज्बातों को,
जाहिर कर दो अपने दिल के अरमानो को ।
उड़ना है  इस दुनिया के इस ओर- उस छोर, 
हमें पूरा करने अपने सपनो को।।
ज़ज्बात !!!!


क्यूंकि अभी उड़ान बाकी है मेरे दोस्त...........

ज़ज्बात !!!!

कृतिकार: राजेश्वर सिंह

रात !!!!

बाहों में जब कटी रात तुम्हारी, रूह खिलखिलाई ।

साँसों से जब मिली साँसे, सारी रात झिलमिलाई ।।




रात !!!!


कृतिकार: राजेश्वर सिंह

Friday, November 2, 2012

तुम्हारा साथ !!!!



तुम्हारे साथ ने मुझे कुछ यूँ संभाला 
कि अब किसी और की फिक्र ना रही .



 तुम्हारा साथ !!!!
इस करवा चौथ पर भी मेरी चाँद तुम अपना दीदार दो,
तस्वीर से निकल कर शाम को बेहतरीन कर दो.......




कृतिकार:- राजेश्वर सिंह

Thursday, October 4, 2012

We Indian, best in us !!!!



During the journey in Metro usually I utilize my time in communication with persons.

In last few trip, I communicated with several humans of different terrain of the world. All of them greeted India about the beauty, culture, technologies & also the human behavior. 

During the conversation with two buddies from Afghanistan they shared their experience with India. As they are here for treatment & were examine in AIIMS, they shared their feeling, behavior of Indians with them & their respect towards the citizens of Indian origin was great to feel proud of being Indian.

In next conversation Guy was from Delhi itself & was going to play a role in a Television Show. His thoughts, future plans, strategies about living the life was quite impressive & made me realize that every gainer (in future, achiever) have same level of hardness & have to worship with same level of hard work in achieving the dreams.

Yesterday evening, I communicated a Gentle Man from France, he was reading a novel "Delhi: A Novel by Khushwant Singh". He is here for his holidays & utilizing his time in reading Indian Literature, roaming across the places, monuments in Delhi. He too expresses his happiness about the culture, tradition, behavior of Indian.

Conversation with different people of different places make me feel that we Indian are great in this era too instead of Politics & Political Parties.

I hope Politics will also make us feel proud, some-day.

An incident to learn!!!!

Few day back, I was coming from office to my room, I was using service of DTC. Due to journey at peak hour, Bus was filled too much. Suddenly I hear voice of a lady, who was asking to leave a seat (reserved for ladies), which was occupied by a man.

I noticed that a young lady was doing one-to-one wording with a man who had occupied that seat. I too was willing to support that lady but when I get introduced about the matter, after that I really fade up of the behavior/rudeness of that lady.

That moment rolled my mind to think, is it a lady?? The one species on this planet, who have great heart, the one who try to give happiness every where, the one who make the world to realize the feelings, the one who make others happy, the one who think about family/others before herself!!

The lady was rude & behaving with bad manner with that person (sitting on the reserved seat). We (the passengers along with me) made her to feel that she had some thing bad in her.

The main story is like, there was a person with his wife and a baby. Those were seems as poor (I thought from their clothing's). They were occupied a pair of seat, reserved for only women.

His wife was ill & omitting that time. So, he took his baby in lap & trying to help his wife somehow to feel good.

Even on this situation the lady (full of rude nature) was pressurizing him to leave that seat for her.

As, person was poor, he bothered to express his what-to-do-situation. As generally happens, some of passengers some in to front & tried to tell all the situation & asked to lady to-not-to pressurize that person. The lady get angry & expresses her mulishness to get that seat. Even when an old ages uncle agreed to give his seat for she, she started to insist to get that reserved seat only.

We (I, along with some passengers) praised to her to-not-to insist the couple who were already in trouble, but lady didn't mind. In last I requested to that old age uncle to give his seat to Poor person (who had taken his baby in his lap).

The old age uncle did it, we thanked him for leaving his seat. Then we told to Poor person to occupy the seat behind that seat. He occupied the seat (left by the old age man) with his baby after that lady occupied the seat (as she wanted to take reserved seat).
Passengers of the bus also murmured on her with many phrases/comments like,

"agar itne hi bade hai to apne Gadi se chalna chahiye (If they want this much in public transport, then they must took their own)".

"Itna beraham to koi aurat ho hi nhi skti (any woman wouldn't be rude like this)".

....

.....

..

On this she started quarrel with the persons over their. replies on each of comments.....

In last, when my stop was near to come, I asked the person about the health of his wife & I came to know that he have to take a journey of 45 minutes more. He replied that he don't have water, which was a need for his wife.

I requested to bus conductor to stop the bus for 2 minutes on next stop, he send me to driver, I requested to him, firstly he putted his points to-not-to stop bus for 2 minutes. But I committed my self to provide the water to those couple any how, some passengers agreed with my view. On very next stop I came outside the bus & ran toward a juice corner, asked for a bottle of water, in-time I was looking on bus also, suddenly bus starts moving, I insisted the shopkeeper to present the water & behaved that I am in hurry. As a few of passengers from bus were looking towards me, they insisted the driver to stop the bus. I took bottle from the shopkeeper & reach at bus & handed over that bottle to the poor person. Bus was there for 1 minutes & I passed in my commitment, which I made a few minute earlier (to provide water to that woman).

Sharing this happening is not-about-to-show my nature or show-off of myself. I did, what my heart told that time.

The main motto of sharing this to you all is, "Please don't be rude, or express how much you are stubborn. Just be a human being & help the human-in-need".

SPECIALLY for LADIES:- "Dears, RESERVED SEAT is for YOU, but it would be great if that seat may be presented to on who needs more than you".

Please do tell all your beloved-ones.....

Saturday, July 7, 2012

Feeling for you!!!



I wanna write these word for my love, my dream girl:-
तुम्हे पहली बार देखते ही मुझे प्यार हो गया था!

और आज भी उतना ही प्यार है तुमसे,
एक झलक उन दिनों जैसी, 
एक मुस्कान पहली मुलाकात वाली,
पल भर की याद भी मार डालती है मुझे
वाकई तुम्हारे जैसा कोई नही
हाँ, तुम्हारे जैसा कोई नही!!

आज भी सिर्फ तुम्हारे लिए उतना ही प्यार है 
जितना तुमको देखकर पहली बार था 
हाँ, सिर्फ तुम हो जिससे मुझे प्यार है,
सिर्फ तुम ही हो जिससे मुझे प्यार है..........


Today, I wanna Feel you,
Once again I wanna feel you.
Your gesture is full of love,
Your look is full of dreams.


Around me all the time, I only feel you.
Your memories travels with me.
Round the clock only you are in my heart.
Your smile is all round me.

When you're alone, do you think of me?
A dimond ring in your finger from me?
And when you love, do you love for me?
Like harmony, a never ending dream?

What ever you think,
But I always yes always,
I still hope for the best.
& I live for the best.

So here's your song..
I'd give anything to make you scream.
And I'll just smile, 
believe I don't feel a thing.
That doesn't work for me.

There's a pretty little picture that's in my head.
And I'm dreaming, changing colors while I sleep.
Neither I am wasting time nor waiting for you.
I am in love with you & love only you.



For My Love, from My Heart!!
Only Your,

Rajeshwar

Tuesday, May 15, 2012

परिवार और प्यार



आज १५ मई २०१२, विश्व परिवार दिवस है, यानि "वर्ल्ड'स फॅमिली डे", आप सभी को मेरी तरफ से शुभकामनाये, आप अपने परिवार के साथ सुखी, समपन्न, समृधि, सफल जीवन का आनंद ले......


ये बहुत अच्छा है कि इसी बहाने मै अपनी बात रख रहा हूँ, जो काफी दिनो से मेरे दिमाग में चल रही थी, कौध रही थी | यहाँ मै इक सवाल करना/पूछना/रखना चाह रहा हूँ (अपने बड़ो से, या असल कहिये कि आप बड़ो से इसका सीधा सरोकार है) और बताना चाह रहा हूँ {अपने हमउम्र भाइयो और बहनो से, क्यूकि हमारे दिमाग में कुछ गलतफहमिया है, या ये कहिये कि हम कुछ पथभ्रम में है (अगर बहन शब्द बुरा लगे तो माफ़ी चाहूँगा)}:-

हम सभी जानते है कि परिवार साधारणतया पति, पत्नी और बच्चो के समूह को कहते हैं, परन्तु हम भारतीयो के परिवार में तीन या तीन से अधिक पीढियो के व्यक्तियो का समूह होता है | आजकल की दुनिया (समय) में हम खुद को आधुनिक (मोडर्न) कहते है, अंग्रेजी में बाते करना हमारा सौभाग्य बनता है, लो-वेस्ट जींस पहनने से नही कतराते, पार्टियो में या वैसे भी सिगरेट, शराब (व्हिस्की कहना सही होगा) पीना स्टेटस की बात होती है पर, जब कोई लड़का खुद की पसंद की लड़की से शादी करने की बात करता है तो समाज, रिश्तेदार की समझ पता नही कहा से आ जाती है!!!

अब तक तो आप समझ ही गये होँगे कि मै किस मसले के बारे में बात करना चाह रहा हूँ:- जी हाँ! मै अपने गोरखपुर में रहने वाले पढ़े-लिखे सभ्य कहलाने वाले बुद्धिजीवी वर्ग की बात कर रहा हूँ, जो समझ में खुद को इक पढ़ा-लिखा समझदार नागरिक मानते है, वो परिवार के लिए बहुत ही मेहनत करते है | बच्चो को अच्छे से अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाते है, दिन भर ऑफिस, खेत, व्यापार में काम करते है, बच्चो को अच्छी से अच्छी सुविधाए देते है [शायद यहाँ आपमें से कुछ लोग मेरे विचारो से सहमत ना हो, पर हर इक माँ-बाप अपने बच्चो को अच्छा-से-अच्छा शिक्षा, सुविधा देने का प्रयास ज़रूर करते है, परन्तु कुछ अभागो के नसीब में ये नही होता {मेरा अभागा कहने का मतलब साफ़ यही है कि कुछ (बहुत कम) माँ बाप ऐसे भी होते है जो आर्थिक सम्पन्नता होने पर भी अपने बच्चो को उनके मूल आवश्यकताओ से दूर रखते है} पर यहाँ मै संपन्न वर्ग के अधिकतर लोगो की बात कर रहा हूँ जिनको सुविधाए दी जाती है, या जो सुविधाए देते है] | 

पढ़ने-लिखने के परिवार लड़के/लड़की के वर/वधु बनने का सपने देखने लगते है और उनको इस पारिवारिक-पवित्र-सूत्र बंधन में बांधने के लिए तत्पर हो जाते है, उनका ये दायित्व होता है, जिसको वो अपनी कार्यकुशलता से करना चाहते है, और करते भी है (मै मानता हूँ, और उनकी इस कुशलता की प्रशंसा भी करता हूँ) | 

पर सबसे मुश्किल तब होता है जब उनका लड़का/लड़की (जो विजातीय लड़की या लड़के से प्यार करने वाले) की शादी की जाती है (या करने की तैयारी की जाति है), तो सम-जाति-बिरादरी का ख्याल सबसे पहले आता है, मै यहाँ स्पष्ट करना चाहूँगा कि यहाँ मै केवल प्यार करने वाले व्यक्ति (लड़का/लड़की दोनो) की बात करना चाहूँगा, लड़के-लड़की से उसके बचपन में {२४ साल से पहले, (क्यूंकि उसके पहले शादी होना तो मुश्किल ही होता है)} कहा/बताया जाता है की वो जिस लड़की/लड़के को पसंद करेगा/करेगी, उसका/उसकी विवाह उसी लड़की/लड़के से करा दी जाएगी, हो जाएगी | परन्तु जब वक्त आता है अपने बातो को रखने को, तो, वो अपने लड़के/लड़की की शादी के लिए सम-जाति की तरफ चले जाते है, या यो कहिये कि उनकी शादी सम-जाति में ही करा दी जाती है, उनके प्यार को भुलवा दिया जाता है या फिर उनके प्यार का, भावनाओ का सरेआम क़त्ल कर दिया जाता है | जब लड़का/लड़की उनसे अपने दिल की बात बताता है, समझाना चाहता है, कहना चाहता है तो वो बुद्धिजीवी, पढ़ा-लिखा, सभ्य वर्ग (हमारे पूज्यनीय, आदरणीय) सीधे इन बात पर ही आते है, ये तर्क रखते है हमारे सामने:-

१. वो अलग बिरादिरी की है, हमारी रहन-सहन कैसे सीख पायेगी?? 
२. तुमको पढ़ाने-लिखने के लिए हमने क्या कुछ नही किया? इतने पैसे खर्च किये तुम्हारे पढाई पर (लडको के मामलो में अक्सर सुनने को मिलता है) |
३. समाज की सोचो, लोग क्या कहेंगे? 
४. तुम्हारे परिवार में पहले किसी ने पहले ऐसा नही किया, तुम सोच भी कैसे सकते हो??
५. तुमसे छोटी तुम्हारी भाई-बहने है, उनपर क्या असर पड़ेगा??
६. उस लड़के/लड़की के लिए तुम हमे छोड़ रहे हो?

वो भी जानते है कि इन तर्कों का कोई महत्व नही है, खासकर उन्ही की अपनी व्यक्तिगत सोच में भी पर समाज को ज्यादा सोचते है | और आखिर में जब लड़का या लड़की उनको कहते है की वो अपनी मर्ज़ी का करेंगे तो पूज्यनीय बड़े लोग सीधे सम्बन्ध तोड़ने की बात पर आ जाते है| और उनका यही उत्तर होता है "जब अपनी ही करनी है तो हमसे क्यू कह रहे हो, जाओ जो मान में आये करो, पर आज के बाद हमारी शक्ल भी देखने नही आना, आज से हम तुम्हारे लिए मर गये |" जबकि वहा पर लड़का या लड़की कोई भी अपने परिवार को छोड़ने कि बात भी नही करता है, या परिवार छोधने की इक सोच भी अन्दर तक झकझोर देती है | 

मै अपने आदरणीयो से ये प्रश्न करना चाहता हूँ कि, "क्या वजह है कि इतने आधुनिकता में जीते हुए भी हमारे पूज्यनीय ऐसा करते है, समाज का डर अपने बच्चे के प्यार से बढ़कर है या फिर उन्हें अपने बच्चो के पसंद पर भरोशा नही होता?"

और मै अपने हमउम्र और स्नेहिल छोटो से चाहूँगा कि वो भी अपना विचार रखें, शायद हमे कुछ नया जानने/सीखने को मिल जाये|


नोट:- ये पूरा लेख मैने खुद तैयार किया है, या यो कहिये मेरे दिमाग के किसी कोने में बैठे एक लेखनी का कमाल है जो कुछ बुद्धिजीवियो के सोच को समझना चाहता है, या फिर किसी के दर्द का उल्लेख है, कटाक्ष है............ मैंने अपने शब्दो को आपके सामने रखने में काफी एहतियात रखा है और अगर इसके बाद भी कोई त्रुटी रह गयी हो तो माफ़ी चाहूँगा.........

यदि कोई टिपण्णी करना, सुझाव देना चाहते है तो ज़रूर लिखे, आपके शब्दो का इंतज़ार है |

परिवार और प्यार
सप्रेम, 
राजेश्वर सिंह 'राज्श'
www.rajeshwarsh.blogspot.in


Thursday, May 10, 2012

बस तुम्हारा


My friend Jitendra wrote this on his post:-


दिल से खेलना हमे आता नहीं
इसलिये इश्क की बाजी हम हार गए ,
शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें...
इसलिये मुझे जिंदा ही मार गए,
मना लूँगा आपको,
रुठकर तो देखो,
जोड़ लूँगा आपको,
टूटकर तो देखो,
नादाँ हूँ पर......
इतना भी नहीं..
थाम लूँगा आपको,
छूट कर तो देखो,




His wordings insist me to create some thing, & I am doing that.....
Soul's wording for a special soul:-


आँखों की समझ होती तो समझ जाती मेरे अल्फाजो को
दिल की समझ होती तो समझ जाती मेरे मुलाकातों को
अब भी है इस दिल में प्यार सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए
बस इक बार मेरे सीने से लग के सुन लो मेरी ज़ज्बातो को

बस तुम्हारा,
राजेश्वर सिंह

Wednesday, May 2, 2012

With sweet memories of you

These lines I wrote for some-one whom I miss  now a days badly...



Sweet Memories of you, I miss it badly 
Some day my dream will come true.
 Everyone will clap for us again.
Some day we will be together.

 Everyone will bless both of us again.
I feel sorry for that day.
When I said those words to you.
I cry for you, each day.

Just miss to talk with you.
I fail to get your love.
But I love you much more.
You know it very well.

My feelings are only for you.
But some day You will hug me again.
May be some tear will appear,
 our eyes will wet again.

May be you will hit me,
to show your love to me.
That day you will be mine,
 you will kiss me again.


With sweet memories of you:-

Only Your stupid-idiot,
Rajeshwar

Wednesday, March 7, 2012

महिला दिवस की शुभकामनाये



मैं राजेश्वर सिंह, नई दिल्ली से ये ब्लॉग लिख रहा हूँ.....

ये शब्दों की माला दुनिया की सभी महिलायों को समर्पित, अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाओ के साथ:::----


आप स्त्री हो!!!
आप बहुत अच्छी तरह याद रखना,
जब भी घर के दहलीज पार करोगी
लोग आपको तिरछी निगाहों से देखेंगे
आप जब गली से होकर चलोगी
लोग पीछा करेंगे
सीटी बजायेंगे
आप जब मुख्य सड़क पार पहुचोगी
लोग आपको चरित्रहीन कहकर गाली देंगे
अगर आप निर्जीव हो तो पीछे लौटोगी
वरना
जैसे जा रही हो....
आप चलती जाना......
आप चलती जाना....
तरक्की का राह अपनाना......
आप चलती जाना.....


सप्रेम:-
राजेश्वर सिंह 'राज़्श'

होली की शुभकामनाए

 होली पर्व पर आप सभी को मेरी तरफ से शुभकामनाये...........






Sunday, March 4, 2012

We are compliment of each other!!

Hi I am Rajeshwar Singh from New Delhi, INDIA.........

for my love, 


with tons of love & care..........


Wednesday, February 22, 2012

मुझको है खुद पर ऐतबार

नमस्कार!!!
मै ये कृति भारतवर्ष के राजधानी दिल्ली से लिख रहा हूँ .........



मै इतनी दूर चला जाऊंगा
मै तेरे राह में ना आऊंगा
मुड़ के तुम देखो या ना देखो
मै लौट के ना आऊंगा
ये बात है मेरे दिल में अब भी
तुझे कभी ना मै भूल पाऊंगा

तुझमे ही थी मेरी जिंदगी
लेकिन अब ये हुआ
तुम बिन मै जी रहा हूँ
मै तुम्हारे ख्वाबो से भी खो गया 
पर मुझको है खुद पर ऐतबार
मुझको है खुद पर ऐतबार

ना अब है मुझे तुम्हारा इंतज़ार
पर खुद पर अब भी है ऐतबार 
मै इतनी दूर चला जाऊँगा
कि तुझे याद भी ना आऊंगा
पर मुझको है खुद पर ऐतबार
मुझको है खुद पर ऐतबार

शायद कभी कहीं तुम्हे
मिले मेरी कोई खबर
कर लेना याद बस मुझे
तब मुमकिन हो ये अगर 
पर मुझको है खुद पर ऐतबार
मुझको है खुद पर ऐतबार

मुझको है खुद पर ऐतबार :-
राजेश्वर सिंह

Wednesday, February 8, 2012

ख्वाहिश

Hi I am Rajeshwar Singh from New Delhi, India...........

तुम्हे लिखूं तो क्या??
कैसे लिखू??
बस 
एक लाल गुलाब तुम्हारे लिए.......
ख्वाहिश एक मुलाकात की 
चाहत बस तुम्हे पाने की............


खुशिया ले आऊंगा

Hi I am Rajeshwar Singh from Gurgaon, Haryana, INDIA.........

This is also a comment on FB, on a written article by my friend Jitendra:-

ना निराश करूँगा अपने मन को
ना खुद को कभी गलत कहूँगा
प्यार किया है तुमसे सच्चे दिल से
ना कि दुनिया को दिखाने के लिए
वादा है तुमको
ये मेरे दिल की मल्लिका
जब भी जरुरत होगी मेरी,
बस ज़िक्र कर देना मुझसे
किसी और के ज़रिये ही
तो देख लेना,
अपनी रातो को भी चुराकर
तुम्हारे लिए सपने सजाऊंगा
मैं सारी दुनिया की खुशिया ले आऊंगा
मैं सारी दुनिया की खुशिया ले आऊंगा

तुम्हारी जैसी बात नहीं!!

Hi I am Rajeshwar Singh from Gurgaon, Haryana, INDIA.........

These lines I wrote as a comment:-

तुम्हारे बातो का लहजा, तुम्हारे लबो के बोल,
तुम्हारे आँखों के अक्श, तुम्हारे गेसुओ का महक|
सबसे कुछ ऐसा जुड़ाव, अपनापन सा बन गया है,
कि अब किसी और में तुम्हारी जैसी बात नहीं!!!