Sunday, March 2, 2014

हिन्दी प्यार और मैं

#हिन्दी_प्यार_और_मैं



मैं लिखता हूँ, क्योंकि मुझे लिखना अच्छा लगता है, मैं हिन्दी मे लिखता हूँ क्योंकि मेरे जानने वालों मे सबको (लगभग) हिन्दी पढ़ने आता है। मैं हिन्दी मे लिखता हूँ क्योंकि जब भी अपनों से बात करता हूँ तो भाषा हिन्दी होती है या फिर भोजपुरी।



मैं प्यार के बारे मे लिखता हूँ, क्योंकि मैं प्यार करता हूँ, अपनी माँ से जिन्होने मेरे तोतले बोलो मे हिन्दी, भोजपुरी, अँग्रेजी के शब्द पिरोये.. मुझे भाषा, वाणी, शब्द, वाक्य से परिचय करवाया........



मुझे प्यार था अपने बड़े पापा (ताऊ) जी से, जो इंसान के काया मे अब तो मेरे साथ नही है पर उन्होने बचपन के दिनों मे मेरे उँगलियों को पकड़कर कागज़ पर अक्षर उकेरवाए।

मुझे प्यार है अपने पिता जी से, जिन्होने मेरे लिए खेतो मे मेहनत की और मुझे इस काबिल बनाया कि मैं अपनी सोच लिख सकूँ, लोगो के साथ बाँट सकूँ......
मुझे प्यार है अपने बुआ जी से जो मेरा तबीयत खराब होने पर रात भर मेरे पास जागती रही, मुझे बचपन से लेकर अब तक मुझे अपने आशीर्वादों से अनुग्रहित किया।
मुझे प्यार है अपने अम्मा (बड़ी ताई) जी और अपने बड़े ताऊ जी से जो अनपढ़ होते हुये भी मुझे पढ़ने के लिए हमेशा उत्साहित किया,
मुझे प्यार है अपने छोटे ताऊ जी और ताई जी से, जिन्होने हमेशा मेरे सर पर अपना हाथ रखा।
मुझे प्यार है अपने चाचा जी के उस साथ से, जो उन्होने मेरी शैतानियों पर मेरी पिटाई भी की और मुझे गाँव के मेलों मे साईकिल पर बिठा कर घुमाया भी।
मुझे प्यार है अपनी उन बड़ी बहनों से जिन्होने मेरा हमेशा साथ दिया, हर एक शैतानी के  लिए बड़ों के डांट-मार से बचाया, अपने मिठाइयों को मेरे खुशी खुशी सुपुर्द कर दिया, मुझे प्यार है अपने छोटी बहनो से जो मुझसे छोटे बात पर लड़कर नाख़ुश हो जातीं है तो अगले पल ही मुस्कुराने लगती है जैसे कुछ हुआ ही ना हो.........


मुझे प्यार है अपने भाइयों से जिन्होने आगे बढ्ने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया, कभी एक आलू के कतली के लिए लड़े तो कभी खुद ही मुझे खाने के लिए अपने थाली से सब्जी मे से आलू के टुकड़े निकाल के मेरे थाली मे रख दिये।

 
मुझे प्यार है अपने रिशतेदारों से जो सुख-दुख हर मोड पर परिवार के साथ खड़े रहे................


मुझे प्यार है अपने बचपन से लेकर अब तक के बने-बिछड़े दोस्तों से, चाहे वो लड़की रही हों या फिर कोई लड़का..... साथ पढ़ा हो या फिर कुछ घंटो के लिए साथ मे सफर किया हों.... हर उस दोस्त से प्यार है जिन्होंने गाहे बगाहे कभी मुझे मुस्कुराने पर विवश किया, तो कभी बिन बुलाये बराती की तरह मेरे ज़िंदगी मे उछल-कूद मचाया....



 मुझे प्यार है अपने आप से, मुझे प्यार है अपने राष्ट्र से, भारत माता से, मुझे प्यार से अपने राष्ट्रभाषा से, मुझे प्यार है हिन्दी से, मुझे प्यार है हिन्दी वर्णमाला से, हिन्दी के स्वर से, हिन्दी के व्यंजन से, हिन्दी के शब्द से, हिन्दी वाक्य से, हिन्दी साहित्य से........ मुझे प्यार है हिन्दी से क्योंकि ऊपर वर्णित सारे संवेदी इन्सानों से मैं हिन्दी मे जुड़ा हूँ........



मुझे गर्व है कि मैं प्यार और भाषा दोनों मे ही आगे बढ्ने की कोशिश कर रहा हूँ, दोनों को लेकर चल रहा हूँ, हिन्दी मे लिख रहा हूँ, प्यार पर लिख रहा हूँ........



फिर मुझे किस चीज़ की शर्म? मैं लड़की पर इम्प्रैशन जमाने के लिए खुद को नही भुला सकता, वैसे भी मैंने कहीं सुना था,



"प्यार करें तो कोई तुमसे करें,

तुम जैसे हो वैसे करें।
अगर कोई तुम्हें बदल कर प्यार करें
तो प्यार नहीं
सौदा है साहेबान"



सप्रेम,



राजेश्वर सिंह