Tuesday, May 3, 2016

हैल्लो मुख्यमंत्री जी!

माननीय मुख्यमंत्री जी,
नमस्कार!
मैंने ट्विटर और न्यूज़ चैनल पर आपके उवाच देखता/पढ़ता/सुनता रहता हूँ, पाँच साल पहले २०११ के गर्मी से भरे अप्रैल महीने में आपके भ्रष्टाचार के खिलाफ भाषण सुनने में अच्छे लगते थे। और आपके उन्ही धरना प्रदर्शन और उवाच के चलते आप आज दिल्ली प्रदेश के मुख्य्मंत्री बन गए। मैं चाहता हूँ कि आप अपने जीवन में तरक्की करें पर प्रदेश के जनता के जमा टैक्स को ऐसे 'ईमानदारी' का ढोंग दिखाने वाले विज्ञापन पर खर्च ना करिए।
आपके कुछ क्रियाकलापों से हम युवा को बहुत कुछ सिखने को मिलता है, जैसे 'आप जो चाहो वो कर सकते हो', आप नौकरी छोड़ कर मेहनत किया, नेतागिरी में आये, और दिल्ली प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए।
परन्तु आज मुझे आपके कमेंट्स, ट्वीट्स, उवाच सुनकर कभी कभी मन में प्रश्न उठता है जैसे आप रेवेन्यू सर्विसेज भी क्वालिफाइड है भी कि नहीं? कभी ऐसा लगता है जैसे कि इस कुर्सी ने आपको बदल दिया है, आप आजकल अनपढ़, अज्ञानी रजिनीतिज्ञ की तरह व्यवहार करने लगे है जो संसद और विधान सभा में कुर्सियां, माइक, पेपर इत्यादि फेंकने लगते है, और हो हल्ला करते है।

ऑड इवन के लिए इतना खर्चा!
कभी पानी बचाने के बारे में सोचा है आपने? जितनी पानी दिल्ली बर्बाद करती होगी उतना शायद ही कोई और राज्य करता हो, जितने भी फ़िल्टर मशीन (आटोमेटिक वाटर टेलर मशीन) लगे है अधिकतर जगह फ़िल्टर के उपरांत वाले पानी (लगभग ४०%) नालिओं में बहा देते है। 
मैंने तीन महीने पहले एक सिग्नल के बारे में आपके साथ-साथ दिल्ली पुलिस को भी लिखा था परन्तु उसपर अभी तक कुछ नहीं हुआ।


मंगल बाजार की तरफ से सड़क पार करने के लिए किस सिग्नल को संज्ञान में लेकर सड़क पार करें समझ में नहीं आता, गाड़ीओ वाले या पैदल यात्रिओं वाले। पिलर नंबर ९७ पर लगे ट्रैफिक सिग्नल पर मंगल बाजार से शकरपुर की तरफ जाने वाले पैदल यात्रिओ और लक्ष्मी नगर से निर्माण विहार जाने वाले गाड़ीओ दोनों के लिए एक ही वक़्त में सिग्नल ग्रीन रहता है।



हम युवाओं के साथ ऐसे मजाक मत करिए, ऐसे फ़ालतू के विज्ञापन खर्च करके, कुछ चीजे है जिन्हे उन पैसो से सही की जा सकती है। जैसे अस्पतालों और सरकारी भवनों के सामने लगे दिशा निर्देश, सूचनाएं इत्यादि बोर्ड (जानकारी के लिए वसुंधरा एन्क्लेव के पास एक आयुष (होमियोपैथी आधारित) अस्पताल का बोर्ड जीर्ण शीर्ण हो गई है)।
स्वराज्य क्या ख़ाक आएगा जब 
अनुसंधान, नवाचार, उद्मिता ही नहीं होगी।  दिल्ली में 'टेक्नोलॉजी डेवेलोपमेंट कंसोर्टियम' हो, जिनमे औद्योगिक विकास पर चर्चा, सलाह, अनुसंधान, नवाचार हो।  आईआईटी के अलावा भी अन्य  कॉलेजो में प्रतिभावान पढ़ते है उन्हें भी मौका दिया जाना चाहिए, उद्मिता के लिए। इस देश को आगे बढ़ाने के लिए आप भी बहुत कुछ कर सकते है, प्रधानमंत्री पद के लिए इतने जल्दी मत करिए, लालू, नीतीश, मुलायम, शरद इत्यादि लोग भी सपने सँजो रखे है।

आप मुझे मोदी भक्त सोच रहे होंगे, पर मोदी जी के सरकार की उपलब्धियों पर अगर मैं लिखूँ तो बहुत कुछ लिखूँगा, यद्यपि वक़्त की कमीं है, फिर भी इतना मुझे बताने में ख़ुशी हो रही है कि एक कंपनी आई टी आई जो धराशायी हो गई थी वो भी मुनाफ़ा कमाने लगी Click here for official figure

आपको मैं कोई नसीहत या फिर सलाह नहीं दे रहा हूँ, मैं अपने पीड़ा को बता रहा हूँ। आप केवल कहने के 'आम आदमी' रह गए है, सलीका, शिष्टाचार सब भूल गए है, आप इंजीनियर होकर भी इंजीनियर नहीं लगते है। आपने हमें रेडियो और टीवी पर बहुत हैल्लो किए है, मैंने भी बस हैल्लो किया है।  

शेष फिर कभी,
#राजेश्वर_सिंह (#RajeshwarSingh)