Thursday, May 19, 2011

For an outstanding performer

Hi I am Rajeshwar Singh from Hyderabad INDIA.........


This is for an outstanding performer, I have seen in my life. It feels proud, having a friend like her. She is a great personality & her quality teaches some lessons. I like her capability & focused nature. Today she gave me some suggestion, surely I will do that things. These lines dedicated to her:  

इक है वो इस दुनिया में
शहजादी वो इस दुनिया की
करती करार किताबो से
दिखती हरदम मुस्काते हुए 
पहले लगता था है वो घमंडी
पर मैंने ना कभी महसूस किया

मुझे ना कभी लगता था 
कि वो होगी मेरी दोस्त
पर सब भगवान कि इच्छा है
कि वो मेरी अच्छी दोस्त है

उसके बारे में मै क्या लिखू
पूरी दुनिया लिखेगी उसके बारे में
सारी खुशिया, हरपल मिलेंगी उसे
क्यूंकि उसके भरोसा है खुद पे
वो पायेगी अपनी हर मंजिल
हमे भरोसा है उसके काबिलियत पे


For an outstanding performer:
By: राजेश्वर सिंह 'राज़्श

Sunday, May 8, 2011

मेरी पहली प्रियतम


Hi, I am Rajeshwar Singh from Jangarediigudem, ANdhra Pradesh, India................

मेरी पहली प्रियतम : मेरी माँ

मेरी पहली प्रियतम,
मेरा पहला नर्म-नर्म एहसास
इस दुनिया में पहला अपना
पहली हंसी का कारण
पहले शब्द की सम्मोहन
मेरी प्यारी माँ, मम्मा
ये पंक्तिया आपके लिए मेरी माँ:
"आपके प्यार में मै हमेशा 
खुद को नींद और नम्रता से भरा हुआ
महसूस करता हूँ, और यही इक बात है
जो मुझे आपसे जुदा नही करती, 
क्यूकि, 
आपके हाथ की बनी कढ़ी-चावल 
५ स्टार होटल के पकवानों से
कहीं ज्यादा स्वादिष्ट लगता है|"

माता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये
आपका लाडला 
दुलारा
प्यारा
'पिंकू'

मेरी पहली प्रियतम,
By: राजेश्वर सिंह 'राज़्श'

Thursday, May 5, 2011

किसी के यादों में: किसी को समर्पित

Hi I am Rajeshwar Singh from Tiruvur, Andhra Pradesh, INDIA.........

तेरे प्यार में......


तुमसे मेरी कुछ य़ू मुलाकात हुई
पहले दिन ही हो गयी रुसवाई
फिर तुमको भूलने को चाहा मै
लेकिन अगले दिन तुम 
इस अदा से मुस्कुराई
कि दूर हो गयी सारी तन्हाई
और मै भूल गया सब रुसवाई



किसी के यादों में: किसी को समर्पित
By: राजेश्वर सिंह 'राज़्श

Tuesday, May 3, 2011

कुछ पल यूँ ही...

Hi I am Rajeshwar Singh Chintalpudi, Andhra Pradesh, INDIA.........


चेहरे पर मुस्कान बन जाती है 
फिर भी दिल में तड़प होती है
मयखाने तो हर रोज जाते है 
पर केवल जिस्म नशीली होती है
जब हम सोचते है तुमको, 
रात के काले सायो में
तो उसी छण तुमको
आगोश में भरने की खुमारी होती है


कुछ पल यूँ ही...
By: राजेश्वर सिंह 'राज़्श