Wednesday, February 22, 2017

पत्र: ७ (२२ फरवरी २०१७)


पत्र: ७ (२२ फरवरी २०१७) 

पत्र माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को


माननीय प्रधानमंत्री जी, 
सादर प्रणाम! 

आशा है आप सकुशल होंगे और कई सारे समस्याओं से जूझ रहे अपने देश भारत को तरक्की के राह पर प्रशस्त करने की कोशिश रहे होंगे। इस पत्र के माध्यम से मैं एक ऐसे मामले को आपके संज्ञान में लाने की कोशिश कर रहा हूँ जिससे, मेरे जैसे इस देश के दूर-दराज इलाकों (ग्रामीण परिवेश) में रहने वाले आम नागरिक हर दिन दो चार हो रहे होंगे। 

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पिछले साल के ८ नवम्बर को आपने राष्ट्र के नाम सन्देश में रूपये ५०० और रूपये १००० के नोटों को आधिकारिक तौर पर गैरकानूनी घोषित कर दिया। इस विमुद्रीकरण के कारण देश को एक साफ़-सुथरी और नया विचार मिला, जो समाज में फैले कुरीतियों को मिटाने में कई रूप से सहायक है और आने वाले दिनों में होगा। माननीय राजाराम मोहन राय द्वारा १८६२ ईसवी में सती-प्रथा उन्मूलन के लिए बनवाये गए कानून से अब समाज में उस समय फैली सती-प्रथा जैसी कुरीति से समाज को छुटकारा मिल चुका है। 

कुछ दिनों पहले मैं एक पेट्रोल पंप पर मोटर-साइकिल में पेट्रोल डलवाने गया, वहाँ पेट्रोल भरने वाले व्यक्ति से मैंने पूछा, “POS मशीन है?” 
“मतलब”, पेट्रोल पंप पर तेल भर रहा व्यक्ति बोला। 
“मतलब, एटीएम कार्ड से पेमेंट हो जाएगा?”, फिर मैंने पूछा। 
“नही है”, उसने बोला। 
“नेटबैंकिंग, भीम एप्प, मोबी क्विक, पेटीएम्”, मैंने फिर पूछा। 
“कुछ नही है भैया”, उसने बोला। 
“कब तक लगेगा?”, मैंने पूछा। 
“कभी नही”, उसने बोला। 
“ऐसा क्यों, सरकार तो बोल रही है कैशलेस होने को, फिर आप क्यों नही इसका फ़ायदा उठा रहे”, मैंने कहा। 
“जो भी हो, मालिक (पेट्रोल पंप) बोल रहे है कि नही लगेगा कोई ऐसा सिस्टम”, उसने बोला। 

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फिर मैंने जेब में बचे १०० रूपये का पेट्रोल डलवाया और निकल लिया। इस घटना को हुए लगभग ६५ दिन हो चुके है फिर भी आज तक इन पेट्रोल पंप पर POS मशीन नही लगी है। 

मैंने एक स्टार्टअप कम्पनी शुरू की है, जो सोलर एनर्जी सेक्टर में काम करती है और कुछ दिन पहले इसी व्यवसाय के सिलसिले अपने पैतृक गाँव फिर आया। इस बार मुझे लगभग हर रोज पेट्रोल डलवाना होता है, परन्तु इस क्षेत्र के सभी पेट्रोल पंप पर POS मशीन के बारे में पूछने पर सब इसके बारे में मना करते है और सबका एक ही उत्तर होता है, “नही लगेगा” । 

अब मैं बैंक जाकर पैसा निकालूं कि गाड़ी में पेट्रोल भरवा सकूँ, आखिर कब तक ऐसा रहेगा? जबकि ग्रामीण इलाकों के बैंको में अभी भी मुद्रा (कैश) की दिक्कत है, कैश निकालने में अभी भी परेशानी हो रही है । 

ग्रामीण परिवेश ऐसे सुविधाओं से कब तक विमुक्त रहेगा? कैशलेस व्यवस्था का हम सभी स्वागत करते है परन्तु कुछ लोगो के वजह से ये सुविधा एक दुविधा लग रही है । 

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मैं इस पत्र को लिखने से पहले कई ट्वीट करके सम्बंधित पेट्रोलियम कंपनी और पेट्रोलियम मंत्री माननीय धर्मेन्द्र प्रधान जी को अवगत करा चुका हूँ, परन्तु इस मामले में अभी तक कोई अनुरूप फल देखने को नही मिला है। मेरा ट्वीटर हैंडल है rajeshwarsh. 

इस पत्र को अपने ब्लॉग पोस्ट के साथ साथ मैं आपके प्रत्येक महीने के रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” के लिए भी प्रेषित कर रहा हूँ। मुझे ख़ुशी होगी, अगर इस पत्र को आप अपने रेडियो कार्यक्रम में सम्मिलित करें और भारतीय जनता के साथ साथ धनाढ्य को कैशलेस होने के लिए प्रेरित करें। 

शेष फिर....... 

पत्र: ७ 
राजेश्वर सिंह (#rajeshwarsh) 
कुशीनगर, भारत

Sunday, February 19, 2017

पत्र: ६ (१९ फरवरी २०१७)

पत्र: ६ (१९ फरवरी २०१७)

पत्र चुनावी दंगल के उम्मीदवारों और उनके स्टार प्रचारको को, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चुनावी दंगल में सम्मिलित है।


माननीय नेताओ और नेत्रियों,
सादर नमस्कार,

आशा है आप जहाँ भी होंगे सकुशल होंगे और प्रजातंत्र में राजतंत्र जैसे सुख-सुविधाओं का जबरदस्त उपभोग कर रहें होंगे। इस पत्र को लिखते वक्त देश के बड़े जनसँख्या वाले राज्य में विधानसभा चुनाव चल रहा है और सभी दल विरोधी दलों की बखिया उधेड़ने में लगे हुए है। इन्ही अधोलिखित चुनाव प्रचार में भाषणों, कथनों, कृत्यों, कारनामों, साक्ष्यो इत्यादि को ध्यान में रखते हुए इसे लिख रहा हूँ, आशा है ये पत्र आपके दिलोदिमाग़ पर कुछ प्रभाव डाले और आप आने वाले दिनों मे देशहित में ज्यादा सोचे।

आजकल के डिजिटल युग में सब नेता लोग एक दूसरे से अच्छा दिखने के होड़ में लगे हुए है। किसी दल का काम बोलता है तो कोई परिवर्तन चाहता है। किसी दल को जाति-धर्म के आधार पर वोट चाहिए कि आलिशान मकान बनवा लें तो किसी के लिए परिवार में ही नेताओं की लंबी फ़ेहरिश्त चाहिए। ये लोग शायद घर पर भी नेतागिरी करना चाहते है या फिर इनको विधानसभा-संसद में पारिवारिक माहौल चाहिए।

काम बोलने से याद आया, अगर काम ही बोलता है तो गठबंधन क्यों? इसी गठबंधन का एक दल तो ऐसा है जो गठबंधन के दूसरे दल के ख़िलाफ़ कुछ दिनों पहले लोगो के बीच जा-जाकर खटिया बिछा कर विरोध कर रहा था, पर जब खटिया ही लूट ली गई तो मरता क्या ना करता, कैरियर पर बैठ लिए। वैसे भी इस दल के युवा(केवल कहने के लिए युवा) नेता जो उम्र के मामले में तो अर्धशतक लगाने वाले है, परन्तु अभी तक इनसे कभी आधिकारिक तौर पर खटिया चरमराने-टूटने का खबर नही मिला है।

वैसे तो चुनाव आयोग ने कमर कस कर रखी है, नियमो के अनुसार पालन कराने के लिए फिर भी भारतीय हमेशा जुगाड़ निकाल ही लेते है। कुछ उम्मीदवारों ने तो अपने ही खिलाफ एक या एक से अधिक उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे है जिससे कि तथाकथित उम्मीदवार को चुनाव प्रचार के लिए कई वाहनों, प्रचारको का इंतेजाम हो सके। इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि शायद ही कोई कर सके, परन्तु इस चुनाव दंगल में ये सब हो रहा है।

वैसे तो आप लोगो के कारनामे भी पढ़कर परमानन्द की अनुभूति होती है। ये तो चुनावी दंगल है, और जनप्रतिनिधि बनने के लिए आप लोगो में से अधिकतर ने अपने जीवनकाल में ऐसे ऐसे कृत्य किये होंगे जिसे सामाजिक और क़ानूनी तौर पर वैध नही माना जाता फिर भी आप लोग महान है। आपके लिए सब कुछ छूट है, चाहे जोर जबरदस्ती करे, बलात्कार करे, क़त्ल करे या अतिक्रमण करे, आदि आदि कृत्य अनादि काल से आप लोगो के लिए जायज है। 

आप लोग अपने इलाके में एक अलग ही सरकार चलाने लगते हो, वो चाहे लोगो से वसूली करनी हो या फिर चौराहों पर वसूली, ठेका दिलवाना हो या फिर किसी को ठोक पीट कर ठीक कराना हो। 

आप लोग पुलिस को तो मुट्ठी में लेकर चलते है, जब चाहे जैसा चाहे मौका-ए-वारदात पर उनका खुल कर इश्तेमाल कर लेते है।

चाहे जैसा माहौल हो, चाहे आप जेल में हों या घर पर, आप लोगों की सेवा भाव आपके भरे पुरे खाते पीते शरीर में दिखता है। वोट करने वाली जनता पतली दुबली ही रहती है परन्तु आप लोगो की बलिष्ठ शरीर आपके सेहत का एक झलक पेश करता है। 

वैसे भी आप लोगो की वजह से ही तो जनता की छद्म सेवा की जाती है, वरना तो सारे सरकारी नौकर (माफ़ करियेगा नौकरी करने वालों को नौकर कह रहा हूँ) कर्मचारी निठ्ठले है, जिनके कानों पर जूं नही रेंगती। 

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आप ही लोगो की वजह से तो किसान खेत में फसल उगाता है वरना तो वो भूखे मर जाएगा। देश के एक बड़े मंत्री ने चुनावी प्रचार में कहा, "हम इस प्रदेश के किसानों की तकदीर बदल देंगे", उनके इस कथन पर एक किसान केवल यही कहना पसंद करेगा, "बेटा जिस विश्वविद्यालय से जिस समय तुमने राजनीति शुरू किया, वो क्षेत्र उस समय गन्ना उत्पाद में विश्व भर में प्रथम स्थान पर था। पर तुम तो बेटा प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने, देश के केंद्रीय मंत्री भी बन गए पर आज चीनी आयात कर रहे हो। तुमसे ना बेटा, कभी ना हो पाएगा। इसीलिए बेटा हम कह रहे है तुम अपने बेटे का तकदीर केवल बदलो और उसको राजनीति में स्थापित करवाओ-खिलाओ बाकि हमारी तकदीर क्या घंटा बदलोगे? तुम्हारी औकात नही है| एक बात है देश के प्रहरी पर भरोसा है, जो देश की तरक्की में तार्किक ध्यान दे रहा है।"

आप लोग भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपने परिवार के सात पीढ़ियो के खर्च के लिए कमाई कुछ सालों में कर जाते हो और देश को उसी हालात में रहने को मजबूर करते हो| अगर साफ़ शब्दो में बोला जाये, तो यही कि तुम लोग अपनी सोच बढ़ा कर राष्ट्रहित में काम भी करो कब तक एक ही बंदा सोचेगा और एक्शन लेगा।

शेष फिर....... 
पत्र: ६
राजेश्वर सिंह (#rajeshwarsh) 
गोरखपुर, भारत