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Friday, September 16, 2016

पल भर का प्यार‬: १०

#‎पल_भर_का_प्यार‬: १०

राज और अनुज काफी अच्छे मित्र थे, कॉलेज के चार सालों में दोनों ने अधिकतर वक़्त साथ बिताए थे। अनुज का घर बक्सीपुर में था तो राज सिंघड़िया में किराए के मकान में रहता था। अनुज कंप्यूटर साइंस (सीएस) विषय से इंजीनियरिंग की पढाई कर रहा था तो राज इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) में महारथ हासिल करने में लगा हुआ था। क्योंकि दोनों विभागों के विषयों में ज्यादा अंतर नहीं होता, इसलिए दोनों को पढाई में कोई दिक्कत भी नहीं होती। दोनों की छुट्टियाँ अक्सर साथ बीतती थी। कभी अनुज राज के कमरे पर आता तो कभी राज अनुज के घर पर पर डेरा डाले रहता। परन्तु परीक्षा के दिनों में अनुज हमेशा राज के कमरे पर पड़ा रहता था।  पौने चार साल की दोस्ती में दोनों इतने करीब हो गए थे, कि  दोनों को किसी और की फिक्र नहीं रहती, एग्जाम के दिनों में तो पढ़ लेते पर बाकि दिनों में घूमना, फिरना, गेम खेलना, मूवी देखना होता था। 

कॉलेज के अंतिम दिन चल रहे थे, एग्जाम ख़त्म हो चुके थे पर प्रैक्टिकल वाईवा नहीं हुआ था। वाईवा का डेट भी आ चूका था। मई महीने के गर्म भरे मौसम की खड़ी दुपहरी में, राज के कमरे में अनुज और राज दोनों लैपटॉप पर २४ (टवेंटी फोर) सीरियल देख रहे थे। कमरे में कूलर की हवा हनहनाते हुए चल रही थी, कुछ ही समय पहले दोनों ने नाश्ता किया था। तभी राज का मोबाइल घनघनाने लगा। चूँकि स्पीकर पर वॉल्यूम लेवल अपने चरम पर था, इसलिए मोबाइल का आवाज दोनों में से कोई नहीं सुन सका। सीरियल ख़त्म होने के बाद राज की नजर अपने मोबाइल पर पड़ी, देखा तो अंकिता के नंबर से मिस्ड कॉल था। 


कॉलेज के दिन ख़त्म होने के कारण, नौकरी के लिए सब हाथ पैर मार रहे थे। कॉलेज ने तो प्लेसमेंट नहीं कराया इसलिए नौकरी पाने के लिए दोनों, वो सब कुछ ट्राई करते, जिससे उनको नौकरी मिल जाये। नौकरी के लिए दूसरे शहरों में होने वाले वाकिंग में राज और अनुज दोनों साथ जाते, सरकारी नौकरियों के लिए भी दोनों साथ में आवेदन करते। अधिकतर प्रतियोगी परीक्षाओं और वाकिंग में अंकिता भी राज के साथ ही जाती।
"भाई तुमको मेरे फ़ोन का रिंगटोन नहीं सुनाई दिया था क्या?", राज अनुज से पूछा, "नहीं तो", अनुज ने अपना सिर ना में हिलाते हुए उत्तर दिया।
"यार अंकिता की कॉल आई थी", अनुज बोला और अपने मोबाइल से अंकिता को कॉल करने लगा। 
अंकिता राज की क्लासमेट थी, और दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों अक्सर एक दूसरे का हाल चाल जानने के लिए फ़ोन करते, लम्बी बातें करते रहते थे। 
अंकिता से बात करते हुए पता चला कि आने वाले रविवार को एक सरकारी संस्था में नौकरी के लिए लिखित परीक्षा है, जिसका एडमिट कार्ड मेल पर आ चूका है, अंकिता से बात करते हुए राज ने अनुज को बोला, "भाई, अपना एडमिट कार्ड चेक करना सेंटर कहाँ है?" 
इधर अनुज लैपटॉप में एडमिट कार्ड चेक करने लगा और राज अंकिता से बातें करते हुए कमरे में ही टहलने लगा। कुछ मिनटों के बाद अनुज बोला, "यार, अपना परीक्षा केंद्र तो लखनऊ में हैं।"
 जैसे ही राज ने अंकिता को ये बात बताई, अंकिता ने राज को अपने साथ में ही रेलवे टिकट बुक करने को बोल दिया। अनुज को शनिवार का टिकट बुक करने को बोलकर राज अंकिता से बातें करते रहा। 
कुछ मिनटो के बाद जब राज और अंकिता की बात-चीत ख़त्म हुई, अनुज ने बताया कि शनिवार शाम का टिकट हो गया है। 
"ठीक है", राज ने बोला और दोनों फिर से टवेंटी फोर सीरियल देखने में व्यस्त हो गए। 
वाईवा भी ख़त्म हो चुके थे। शनिवार का दिन आ गया, पुर्नियोजित समयानुसार शाम को तीनो दोस्त गोरखपुर प्लेटफार्म नंबर १ पर मिले। राज अकेले आया था, जबकि अनुज के साथ उसके पिताजी और अंकिता के साथ उसके चाचाजी थे। राज, अनुज और अंकिता तीनो के सीट एक ही कूपे (कम्पार्टमेंट) में थी। ट्रेन का समय हो गया, तीनो ने सबसे आशीर्वाद लिया और ट्रेन में जा बैठे। ट्रेन चलने लगी, सबने हाथ हिलाकर टाटा बॉय किया।  

अनुज अपने शर्मीले स्वाभाव के कारण किसी से बातचीत शुरुआत करने से कतराता था। परन्तु उसे सामरिक, राजनीतिक, विज्ञान, अविष्कार, प्रौद्योगिकी, रक्षा मामलों में वाद-विवाद करना अच्छा लगता था। उसे इन विषयों पर वाद-विवाद करके कोई हरा दे, ऐसा मुमकिन ना था। इससे पहले कभी भी अंकिता और अनुज का मुलाकात कॉलेज में कई  बार हुआ था परन्तु आमने-सामने ऐसे कभी नहीं बैठे थे। राज अपने वाकपटुता से किसी भी विषय पर चर्चा करने लग जाता। राज और अंकिता बाते करने में मशगूल हो गए और अनुज अपने साथ चेतन भगत की किताब "रेवोलुशन २०-२०" में व्यस्त हो गया। अनुज और अंकिता दोनों की आपस में बातचीत ना के बराबर ही थी, राज को रहना उचित नहीं लग रहा था और उसने बात करते करते "भारतीय सरकार द्वारा चीन निर्मित सेलुलर प्रौद्योगिकी यंत्रों का भारत में प्रतिबंध" टॉपिक पर चर्चा करना शुरू कर दिया। देखते ही देखते कूपे में बाकि के तीन सीटों पर बैठे विद्वजन गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, बहुराष्ट्रीय कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर और एक सरकारी कंपनी में एचआर थी जो इस चर्चा में शामिल हो गए। राज, अंकिता और विद्वजन के चर्चा में अनुज चुप रह जाए ये मुश्किल था, अनुज भी अपनी बाते स्पष्ट तथ्यों के साथ वाद विवाद करने लगा। 
जहाँ अंकिता और बाकि विद्वजन भारतीय सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को अनुचित ठहरा रहे थे वहीं राज और अनुज भारतीय सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को उचित बताने के लिए तरह तरह के आधारों, विवरणों, घटनाओं, समाचारों का जिक्र करने लगे। चर्चा काफी लम्बी खींचने लगी तो प्रोफ़ेसर जी ने अनुज, राज और अंकिता तीनो के तर्कों, विश्लेषणों, आधारों का प्रशंसा करते हुए बोले, "रात काफी हो चुकी है, और आपने बहुत अच्छा परिचर्चा किया, मुझे काफी अच्छा लगा कि आप लोग, ऐसे विषयों पर भी चर्चा कर रहे हो" और अनुज के मुखातिब होकर बोले, "अगर आपके पास वक़्त हो तो मेरे ऑफिस में आकर मिलिए"। 
राज और अंकिता प्रोफ़ेसर जी के तरफ देखने लगे तो वो फिर से बोले,"आप लोग भी आ सकते है", तीनो दोस्तों के समझ में कुछ नहीं आ रहा था और एक प्रश्न के भाव लेकर प्रोफ़ेसर जी को एकटकी लगाए देख रहे थे, कुछ देर बाद प्रोफेसर जी बोले, "दरअसल मुझे एक तकनीकी सहायक की जरुरत है, यदि रूचि हो तो शायद आप में से कोई मेरी सहायता कर सके"।
"सर कितने सहायकों की जरुरत है? दो तीन नहीं है क्या?" अंकिता ख़ुशी प्रकट करते हुए पूछी और फिर बताती गई, "सर तीन नहीं तो कम से कम हम में से दो को सहायक रख कर देखिये, आपको निराश नहीं करेंगे। अनुज को तो देख ही लिए आप उसके जैसा होनहार, तर्क-संगत, विद्वान् आपको नहीं मिलेगा, हम आपसे ज़रूर मिलेंगे, हम सोमवार सुबह गोरखपुर लौट जाएंगे, आपसे हम कब मिले?" 

"मैं कल ही लौट जाऊँगा, सोमवार को ही मिल लो...... पर तैयारी करके आना", प्रोफेसर जी ने बोला। 
"ठीक है सर, हम तीनो आपसे सोमवार को १० बजे सुबह मिलेंगे, आपके ऑफिस में " अंकिता कौतुहल में ही बोल दिया, बिना अनुज और राज से पूछे। 
अंकिता आँखे बड़ी करके मुस्कुराते हुए राज और अनुज की तरफ देख रही थी, जैसे बैठे बिठाये उनको नौकरी मिल गई। अनुज और राज दोनों और संजीदा हो गये। रात के दस बज चुके थे, तीनों ने मिलकर भोजन किया और अपने अपने सीट पर जाकर सो गए।  


भोर के ३ बजे तीनो लखनऊ पहुंच गए, स्टेशन से ऑटो लिया, लखनऊ एयरपोर्ट के पास तीनों को जाना था। ऑटो के एक तरफ राज बैठ गया और अंकिता को बीच में बैठने के लिए इशारा किया। अंकिता बीच में बैठ गई इसके बाद अनुज ऑटो में बैठा। एक तरफ राज था तो दूसरे तरफ अनुज था और बीच में बैठी अंकिता थी। ऑटो में ग़ज़ल गायकी के बादशाह जगजीत सिंह का गाया "ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो......" गीत बज रहा था, तीनो एक दूसरे को देखने लगे। 
अचानक राज ने कहा, "यार बचपन ही सही था, जो हम मौज में रहते थे, किसी चीज़ का फिक्र नही था", राज की बात सुनकर अंकिता और अनुज ने हाँ में सिर हिलाया, और ऑटो स्टेशन के पार्किंग से निकल  मुख्य मार्ग पर आ गई। राज की बातें सुनकर ऑटो वाला बोला, "भैया जिंदगी है ये, बढ़ती ही जाएगी, कोई रोक नही पायेगा", ऑटो वाले की बात सुनकर तीनो मुस्कुराने लगे। रेलवे स्टेशन से एयरपोर्ट जाने में लगभग आधे घंटे लगते है, ये सोचकर राज ऑटो में ही सो गया। अनुज और अंकिता चुपचाप बैठे गाने सुन रहे थे। 
अगला ग़ज़ल जगजीत सिंह जी के आवाज में था "झुकी झुकी सी नजर बेक़रार है कि नही, दबा दबा ही सही दिल में प्यार है कि नही. ... . . . . . . . . . ."
ऑटो वाला ऑटो को गति के साथ भगा रहा था, सड़क एकदम सुनसान थी, कभी कभार कुत्तों का भौंकना सुनाई देता था, वो भी पल भर में दूर चला जाता था। राज एक किनारे सोया हुआ था,ऑटो के अंदर घुप अँधेरे में अनुज और अंकिता ऑटो में चुपचाप गाने सुनने में व्यस्त थे। 
अनुज और अंकिता एकाध पल के लिए एक दूसरे को देख लेते थे, और आँखे मिलते ही मुस्कुरा देते थे। "तुम जो इतना मुस्कुरा रहें हो, क्या ग़म है जो छिपा रहे हो.... . . .. . . ." ग़ज़ल बज रहा था जब अचानक एक मोड़ पर ऑटो दाएं तरफ मुड़ा और राज अंकिता के ऊपर आ गिरा। राज के अंकिता के तरफ अचानक आने से, अंकिता अनुज के और करीब सरक गई। ये सब इतना अचानक हुआ कि किसी को कुछ पता ना चला। राज की नींद टूट चुकी थी और ऑटो वाले को डाँटते हुए बोला, "अरे भैया थोड़ा देखकर चलाइये"।
"ठीक है भैया", ऑटो वाले ने बोला और ऑटो को सड़क पर सरपट दौड़ाये रखा। 
सामने की तरफ से आने वाले इक्का दुक्का गाड़ियों के आवाजाही से कभी कभार ऑटो में रोशनी आ रही थी। इन्ही रौशनी में अनुज और अंकिता एक दूसरे को तिरछी नज़रो से देख रहे थे। कुछ समय बाद ऑटो में जगजीत सिंह जी की पत्नी चित्रा सिंह जी का गाया गीत "तू नही तो जिंदगी में और क्या रह जाएगा.........." बजने लगा। इन गीतों के तरत्नमय ने ऑटो में अनुज और अंकिता के दरम्यान एक शमां जला दी थी, जिससे राज और ऑटो चालक दोनों अनभिज्ञ थे। 
अनुज और अंकिता दोनों किसी द्विस्वपन में खो गए ऐसा प्रतीत हो रहा था, "भैया आगे से बाएं ले लो" राज ने ऑटो चालक को कहा तो अनुज और अंकिता की तन्द्रा टूटी। इतने में अंकिता के बुआ का घर आ गया और अंकिता को उसके बुआ के घर छोड़कर राज और अनुज अपने एक मित्र के घर चले गए। सुबह होने में अभी कुछ घंटे बाकि थे और परीक्षा नौ बजे से था।
राज बिस्तर पर पड़ते ही सो गया, पर अनुज की आँखों से नींद गायब हो थी। इधर अनुज का ये हाल था तो उधर अंकिता भी अपने बुआ के बिस्तर पर पड़े पड़े किसी सपने में खो चुकी थी। 

अंकिता और अनुज के परीक्षा केंद्र एक ही थे और राज का करीब के ही दूसरे विद्यालय में था।  
   

ये कहानी थोड़ी लंबी है इसलिए इसे कई भाग में लिखना पड़ेगा। 
पल भर का प्यार‬: १० का दूसरा पार्ट जल्दी ही लिखूँगा........ 

तब तक बाकि के पोस्ट पढ़ सकते है!



Monday, September 5, 2011

अध्यापक दिवस की हार्दिक शुभकामनाये

Hi I am Rajeshwar Singh From Gurgaon, Haryana, INDIA.........


मेरे जिंदगी के प्यारे, विनम्र, सुविचारी गुरुजन
अध्यापक दिवस कि हार्दिक शुभकामनाये,
मेरे दिल से आप सभी को नमन!
छूकर आप सभी के चरण कमल! 
आप ही थें जिन्होंने मुझे एस काबिल बनाया
आप ही हैं जो मुझे इस लायक बनाया
कि दुखी मन में मुस्कुरा सकूँ,
हताश होने पर भी लड़ सकूँ|
निराशा के समय भी पा सकूँ,
दुविधा के समय भी बढ़ सकूँ||



अध्यापक दिवस की हार्दिक शुभकामनाये,
मेरे दिल से आप सभी को नमन!
छूकर आप सभी के चरण कमल! 

अध्यापक दिवस की हार्दिक शुभकामनाये,
BY :
राजेश्वर सिंह

Thursday, August 25, 2011

Love

Hi I am Rajeshwar Singh from New Delhi INDIA.........



For love from love,
To love by love.
I pour all my feelings on you,
but scared about tomorrow.
I know you are always with me,
but I scared about your sorrows.
You are also aware about my love,
& emotions you feels mostly.
But how can I realize your feelings,
& how can I tell you my emotions.

Sunday, July 17, 2011

For a friend by a friend

Hi I am Rajeshwar Singh from Srinagar, Jammu & Kashmir, INDIA.........

For a friend by a friend,

जिंदगी के सबसे हसीन मोड़ पर, 
तुमसे यूँ मुलाकात हुआ
हँसते-२ बीतने लगे ये दिन, 
कुछ ऐसा मुझे एहसास हुआ

मेरे दुखो में परेशान होने वाली
हर दुःख दर्द में साथ देने वाली
कॉलेज में बहुत सहमी-२ दिखने वाली 
पर आज है दुनिया से कदम मिलाने वाली

उलझनों में मुझे समझाने वाली 
खुरापात पर बोलने और झगड़ने वाली
पर खुद ही माफ़ी मांगने वाली 
गम में भी सबके साथ खुश रहने वाली 

कोई कुछ कहें ना कहें, या कुछ ना बोलें
पर मै ये बोलता हूँ कि वो बहुत प्यारी है
वो खुद के बारे में कुछ सोचे या ना सोचे 
पर मै ये कहता हूँ कि वो इक पगली है

ज़न्मदिन पर ये पंक्तिया मैंने लिखी है
ये पंक्तिया उसके लिए, मैंने उकेरी है 
पा जाए वो अपने शिखर को, 
यही मेरे दिल की तमन्ना है 

ज़न्मदिन की हार्दिक शुभकामनाये गरिमा
For a friend by a friend,
By:
राजेश्वर सिंह 'राज्श'

Thursday, July 14, 2011

आप जैसे अपने के लिए

Hi I am Rajeshwar Singh from Srinagar, Jammu & Kashmir, INDIA.........

In the sweet memories of close-one teacher, Pooja Tripathi Ma'am.............

मनमोहक आकृति अद्भुत कृति
लेखनी के लिए बन गयी है नीति
चेहरे पर मुस्कान, दिल में ख़ुशी
ऐसी ही हर पल बनी रहे आपकी हसी

जो ऐसे ही आप रहे मेरे जिंदगी में
इस दिल के सब शब्द आ जाये बाहर
आपका एहसास जो रहता है दिल के पास
कि मेरा ये दिल गुनगुनाता है बेशुमार

आपके ख़ुशी में मेरी ख़ुशी
क्यूकि आपसे जुडी है जज्बात मेरे
ज़मीन से फलक तक आपकी निशा
कि बस आपके लिए आते है लफ्ज़ मेरे

सूरज कि रंगीनिया भी कम पड़ जाये
आप के चेहरे कि तेज़ पर
सुरों कि रागिनिया भी धीमी पड़ जाये
आपके सुमधुर बोलो पर

चाँद की दुधिया रोशनी धुंध पढ़ जाये
आपकी  नम्रता वाले व्यवहार पर
नदियों की गहराई कम हो जाये
आपके आँखों के अपनेपन पर


आप जैसे अपने के लिए:
By:-
राजेश्वर सिंह 'राज़्श'

Monday, April 4, 2011

Be in touch

Hi I am Rajeshwar Singh from Hyderabad, INDIA.........


I received this message from one of my fast friend on 27th March'11, but didn't read at that time.. Yesterday i was clicking the Inbox, I saw this message. This message realizes me the goodness of  being in touch. In last few days, due to some unhappy moments (missed to attend Convocation & was hurt by one of my close friend), I had seen, I developed attitude to go away from the ITMians & thats why I deleted myself from mostly communities on FACEBOOK, but I can't do this any more. I have to live myself as I wanna, will never miss contact from all due to one or some silly moments. 
So Sorry to all. I am back to MASTI with you all.

One day we all be sitting and thinking hard about life.
How it changed from simple college life to restrict professional life.

How pocket money changed to huge monthly pay cheque, 
but gives less happiness.
How a few local jeans changed to new branded wardrobe, 
But less occasions to use them.
How a single plate of samosa changed to a full pizza, 
But hunger is less
How a cycle always in reserve, changed to a car always on, 
But less places to go.
How a tea by roadside to CCD, Barista, 
But it feels as if the shop is far away.
How a general class journey changed to flight journey, 
but less vacations for enjoyment
And many more
May be this is the truth of journey called "LIFE".

Dedicated to all my friends.
Plz stay in touch always.
Be in touch & keep smiling my face.
I smiles when I saw you are smiling.

Sunday, April 3, 2011

तुम किसके साथ थे?

Hi I am Rajeshwar Singh from Hyderabad, INDIA.........


Date & Time: 3rd April'11 at 7:15 PM


ये है सपना मेरा
जो मैंने आज देखा 
अपनी खुली आँखों से
काम के बोझ से दबा हूँ
पर वक़्त निकल जाता है
तुमको सोचने के लिए
सपने देखने के लिए

ये आज मेरा दिन ऐसे हुआ
जैसे मै तेरे साथ घूम रहा था
हैदराबाद की जाम वाले रास्तो में
तुम्हारी बातों को सुन रहा था
दोनों के हाथो में आइस-क्रीम था
इस गर्म मौसम में साथ था
और हम दोनों ही खुश थे
सामने देखा लाल-गुलाब तो
मै भी खुद को ना रोक पाया
ले लिया कुछ लाल-गुलाब तुरंत
याद करके पुराने दिनों को
जब मेरे पास होते थे गुलाब हरपल
तुमने पूछा- लिया किसके लिए
खुद के लिए, मैंने जवाब दिया
तुम थोडा सा इतराई
फिर जब ना तुमको दिया तो
गुस्सा होकर इधर-उधर देखने लगी
मै बस तुम्हे जला रहा था
तुम भी ये जान रही थी
तुम यूँ ही साथ चलती रही 
मै ख़ामोशी से बातें सुनता रहा
कुछ पल साथ चलते हुए 
इक-दुसरे को टीज़ करते हुए
सामने आया पिज्जा-हट
फिर वह इक सीट पर बैठ गये
तुम थी सामने, मै था सामने
पिज्जा हट का पिज्जा था
और साथ में कॉकटेल भी
इक गुलाब लेकर लबो में
मैंने तुमसे वो पूछ ही लिया
जो मैंने ना पूछा ४ सालो में
क्या-तुम मेरा साथ दोगी?
क्या मेरी हमसफ़र बनोगी?
और तुम्हारे उत्तर आने से पहले ही
मै सपनो से जगा दिया गया
फिर ये सपनो की दुनिया....
मुझे मुस्कराहट दे गयी
पर इक प्रश्न छोड़ गयी
तुम किसके साथ थे??
तुम साथ किसके थे?? 




'तुम किसके साथ थे?'
By: राजेश्वर सिंह 'राज़्श'

Tuesday, January 4, 2011

मेरी बेचैनी

Hi I am Rajeshwar Singh from Gurgaon, INDIA.........

Date: 4th Jan'11
Time: 11:22 PM

क्यू मै बेचैन हो जाता हूँ भरी महफ़िल में
क्यू गुनगुनाता हूँ राह चलते हुए
क्यू आती है याद तुम्हारी हरपल
इंतज़ार रहता है सिर्फ तुम्हारे फ़ोन के
ये है मेरे दिल की घबडाहट
या फिर तुमसे दिल्लगी है
अब समझा इस दिल के आँखों का आलम
क्यूकि इसमे बैठी तुम्हारे जैसी हसीना है

मेरी बेचैनी
By:
राजेश्वर सिंह 'राज़्श'

Sunday, January 2, 2011

अपनी गुज़ारिश

Hi I am Rajeshwar Singh from Gurgaon INDIA.........

Date: 1st Jan'2011
Time: 9:56 PM

Created in BIHAR SAMPARK KRANTI train ahead Lucknow railway station.

ट्रेन की सीट पर सोया
'रसीदी टिकट' पढ़ रहा हूँ
ये तो रचना है अमृता प्रीतम जी का
जो मेरे अल्फाजो को भुना रहा है
कुछ पंक्तिया आई सामने तो
दिल ने कहा तुम पर शब्द गूंथने को
शांत हो गया था ट्रेन का माहौल
पर कौन रोक सकता है पटरियों के आवाज़ को
आगाज़ है नए उम्र का नए साल का
ये शुभारम्भ है मेरे हाथ में इस कलम का
तुम याद आते रहे हर पल आज
कभी पवन के झोंको में तो कभी मेरे मुस्कराहट में
कैसे ज़ाहिर करू अपने बेताबी को
प्यारे अल्फाजो को अपने इश्क को
कैसे समर्पित करू इस माला को
शब्द-माला में गुंथे हुए शब्दों को
गूंथने का कुछ य़ू आलम हुआ
ये फुल पड़ते गाए और माला बन गई
ये माला जो है मैंने गुंथा शब्दों का
मेरे जूनून का तुम्हारे मुहब्बत का
मेरे ख़ुशी का तुम्हारे छुअन का
मेरे अल्फाजो का तुम्हारे ख़ामोशी का
२०१० की अंतिम सर्द रात का
तुम्हारे बिना बात के रूठने का
२०११ की सुबह किसी को ना फ़ोन करने का
ये शब्द है सुबह-सुबह तुम्हारे सन्देश आने का
ये शब्द है सुबह तुमसे बात करने का
मेरे जिद करने पर तुमसे मिलन का
ऐसे-वैसे गुफ्तगू करने का 
है ये तुम्हारे बेइंतहा चाहत का
मेरे बातो पर तुम्हारे खीझने का
तुम्हारे बोलो पर मेरे रिझने का
इक छोर पकडे रहना इस माला के धागा का
क्योकि मुझे जूनून है तुम पर शब्द पिरोने का
याद आ रहे है अब भी तुम्हारे होठो के मुस्कान
आँखों के अपनेपन का हाथो के नरमी का
हाथो की नरमी का हाथो की छुअन का
मेरे दिल की धड़कन का तुम्हारे एहसासों का
याद कर रहा हूँ मै विदा होते हुए तुम्हारे झलक का
मेरे आँखों की ख़ुशी का तुम्हारे गुजारिश का
फिक्र है हमे अपने साजिशो का खुद को फसने का
साथ ही साथ इस जाल में तुम्हे फ़साने का
उस मोड़ के इंतज़ार का अपने इकरार का
ऊपर वाले की साजिश है अपने मिलन का
हमारे तकरार का मेरे पुकार का
तुम्हारे गुज़ारिश का मेरे दीदार का
इक लफ्ज़ में कहूँ तो, पिरो रहा हूँ..............
.....अपने आँखों के अनकहे प्यार को

अपनी गुज़ारिश-
By:
राजेश्वर सिंह 'राज़्श'

Sunday, December 26, 2010

For Shahul 'इक अपने लिए'

Hi I am Rajeshwar Singh from New Delhi, INDIA.........
Created on 26th Dec'10, 11:35 PM in New Delhi.


साहुल के लिए लिखने है कुछ पंक्तिया
जो इसके लिए अभी है ज़रूरी
कई दिनों से कहता था की लिखो मेरे बारे में भी कुछ
इसलिए अब मै करूँगा इसकी तमन्ना पूरी
इक लड़का दीवाना, हसीनायो के ज़ल्वो का
बीबी नज़र आती उसे हर राह चलती नारी
ये तो रही उसकी दिल की बाते
अब बताता हू उसके दिल की खूबी
है ये पढने में होनहार 
वीरवान है वो खेलने में
क्लास का एकमात्र खिलाडी
जिसने जीते मेडल कॉलेज में
कहता अपने दिल की बाते
जब हम होते लॉन में
अपने गलतियों में सुधर के लिए
लेता कसमे हमारे साथ मंदिर में
कॉलेज के पहले साल से हम
साथ बैठते इक ही बेंच पे
खाते साथ टिफिन चुराकर
खासकर दूसरी घंटी में
शगुन की टिफिन खाकर
उसे नाश्ता कराना ढाबे पे
ये लड़का बहुत अलग है सबसे
बात ना होती बिना गाली से
इक बाइक पे चार का बैठना
और जाना उस गली में
होली के त्यौहार पर करना
हुडदंग कॉलेज में और कैंटीन में
आई. टी. आई. में करना ट्रेनिंग
वो गेस्ट हाउस में, होस्टल में
मेरे बर्थडे पर केक काटना
देना टी-शर्ट तोहफे में
मेरे जिंदगी का वो खुबसूरत लम्हा
जो मिला था इस कमीने की वजह से
पी डी में देना मूवीज वो नयी-२
जो करता था डाउनलोड रात में
पीना सोफ्ट-ड्रिंक चंदा लगाकर
पुरे अप्रैल के महीने कैंटीन में
डांस वो करना इसका याद आता है
फेयरवेल, क्लास और फ्रेशेर में
टीचर्स के ऊपर झल्लाना
जब कम आते नंबर सेमेस्टर में
मेरे बचपने पर देना नसीहते
जो साथ देते थे मेरे कामो में
जानता था की ना दूंगा रूपये मै
फिर भी मांगना उधारी मुझसे
जो जाते थे पैसे शगुन के जेब से
वो चौथी घंटी के आखिर में
एक्जाम की रात बाते करना
वो भी उस लड़की के बारे में
चौथे साल में बहाने बनाना 
वो प्रोजेक्ट तैयार करने में
हॉस्टल से कॉलेज आना
हर दिन दूसरी घंटी में 
अब और क्या करू बुराई इसकी
पगला गया होगा ये इतने में
इक नसीहत जो मै देता हू तुम्हे यहाँ पर
कभी मत पड़ना किसी ग़लतफ़हमी में 
जो प्यार-अपनापन है हममे
उसे बनाये रहना पुरे जिंदगी में


For Shahul 'इक अपने लिए'
By-
राजेश्वर सिंह 'राज्श'

Friday, November 26, 2010

"इलज़ाम मुझ पर"

Hi I am Rajeshwar Singh From Gorakhpur INDIA.........

Date: 23rd May'10
Time: 2:35 PM

मुझ पर है सैकड़ो इलज़ाम 
मेरे साथ ना चला करो
होने लगेगी तुम पर भी छीटाकशी 
बढ़ जाएगी इल्जामो की गिनती
कर बैठूँगा कुछ मै उन लोगो से
जो करेंगे छीटाकशी तुम पर
हम रहे अकेले तन्हा अभी सही है
पर बातें य़ू ही करते रहेंगे
जब भी चलना अकेले कहीं पर
महसूस करना मुझको अपने पास
हाथ मेरा है तुम्हारे हाथ में
साथ मेरा है तुम्हारे साथ
मै हूँ हर पर पल तुम्हारे पास तुम्हारे साथ. 

इलज़ाम मुझ पर--
राजेश्वर सिंह 'राज्श'

"तुम्हारी यादें"

Hi I am Rajeshwar Singh From Gorakhpur INDIA.........
स्थान- लखनऊ
दिनांक- २३ अक्टूबर'10
समय- १:३० रात

यादें बनकर उभरती है
तुम्हारे माथे की खुबसूरत लटें
मुस्कुराने पर इक चाहत सी जगाती है
चेहरे की वो कातिलाना मुस्कुराहटें
तन्हा बैठने पर याद आती है
लब वो तुम्हारे, मैगी खाते फ्रूटी पीते
जब भी मेरे ये आँखें झपकती है
ख्याल आता है वो मासूम पलकें
अनुभव मुझको, अपनेपन का कराती है
वो काज़ल वाली तुम्हारी आखें
ज़ेहन में इक जादू सा चलती है
वो धक्-धक् करती तुम्हारी सांसें
सारे दुःख-दर्द मिट जाती है
जब हो जाती है बातें तुमसे 
हमारा साथ इस दुनिया को ये सिखाती
मुझमे-तुझमे है अपनापन, चाहे हो जितने लड़ाई-झगडे
तर्क-वितर्क हम-तुम में होती ही रहती है
इक-दूजे के और करीब लाती है हमारी बातें

तुम्हारी यादें--
राजेश्वर सिंह 'राज्श'

Tuesday, November 2, 2010

Happy Diwali to all

Hi I am Rajeshwar Singh From Gorakhpur INDIA.........


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For my belove one

Hi I am राजेश्वर सिंह From गोरखपुर, भारत.........

तुम इतने खुबसूरत हो कि
ये मेरे अलफ़ाज़ य़ू निकल गए
तुम मिल गये मुझे जिंदगी में
तो ये काफिले मेरे बढ़ गए............


गुथूं कुछ शब्द अपने अल्फाजो के
ग़ज़ल बन जाता है तुम पर
उस पर निखार आ ही जाता है
जब भी निहार लेते हो तुम उन पर
बहक जाता हूँ जब भी कुछ बयां करता हूँ
तुम्हारा शबाब ही भारी पड़ता है सब पर
भोर पहर में बागो से कोयल की मीठी बोली
सुरीली राग भी कम पड़ जाता है तुम्हारे मीठे बोलो पर
सोचूं गर कोल्ड ड्रिंक्स पीने को
मज़ा, फ्रूटी खुद ब खुद आ जाता लब पर
राह चलते भी चेहरा याद आता है
जब भी नज़र पड़ती है हसीनाओ पर
होठो पर कुछ बोल आ ही जाता है
बाते करते हुए मुस्कुराना तुम्हारा याद आने पर
उन आँखों में अपनापन लगता है
जो मिलती है औरो से चुराकर

नर्म हाथो से माथे पर टीका लगवाने को जी चाहता है
जो लगाते थे तुम अपने नयनो से हटाकर
तुमसे हर बात पर ही तकरार ही होता है
फिर भी हम करते है इक दूजे से प्यार

Saturday, September 18, 2010

All ITMian B.TECH[IT/CS/EC] & MBA aspirants of 2010 & 2011 batch

Hi I am Rajeshwar Singh From Gorakhpur INDIA.........


It is again a great support by my senior sir.....
Avinash Srivastava ('08 Passout from ITM )
B.Tech[IT], PGDB,
Assistant Manager Grade II,
ICICI BANK LIMITED.
Jakkur post, Bangalore North, Bangalore.






The Scrap from him to me:-


Dear Rejeshwar,
Hi..
You can forward the message below to our juniors , and your batch mates who are in search of the jobs this will facilitate them in getting the jobs at ICICI Bank and I am here to assist them,
Byes



Dear Friends,

Greetings for the Day!!

As a part of my alumni duties , it gives me great pleasure to inform you that my organization is conducting freshers drive for B.tech and MBA Students , so if you are interested you can feel free to contact me for details, so that I can assist you in getting placed and reference in interviews further.

POST: ASSISTANT MANAGER
3.9 LPA ,60%+, MBA,with one year experience.

POST : ASSISTANT MANAGER
3.6 , B.TECH[IT/CS/EC/EEE/] or MBA ,60%+, passouts in 2010/2011 are eligible,no experience required.
Depending upon the requirement in several department the allocation is done such as IT, TF, Retail Banking, Treasury .

Thanks and Regards,

Avinash Srivastava
B.Tech[IT], PGDB,
Assistant Manager Grade II,
ICICI BANK LIMITED.
Jakkur post, Bangalore North, Bangalore.









Contact him on:-
avinash1986.satyam@gmail.com

Thursday, September 2, 2010

Saturday, April 17, 2010

FAREWELL “a LOVING Party by juniors to us”

FAREWELL "a LOVING Party by juniors to us"

Dedicated to ECEian'10 & ECEian'11 of Institute of Technology & Management GIDA, Gorakhpur

Previously I posted a blog in respect to my lovely seniors, that moment was a happiest moment of our life both of us juniors & seniors and that moment also gave us to come closure to one-another. That moment was 4th April'09 at Bittu Marriage Hall, Rapti Nagar, Gorakhpur.

The ECEian'09 of ITM. 

For us 2006-10 batch ECEians of ITM this moment was 4th April'10 a co-incidence happen in the ECEians life, we gave respect to our seniors same date one year earlier we were respecting by our lovely juniors.

Now coming to the Party moment, firstly I want to mention some moment happened days before the party.

They (Juniors) invited us on 2nd April'10 to come to party at Bittu Marriage Hall, Rapti Nagar, Gorakhpur enjoy some moments with the friends as well as juniors, in class & also personally to all the final year ECEians. They asked us to reach at time 2:30 PM.

The invitation card for us & for faculties was looks as:

For Faculties 

For we people.
The option to wear for boys was suit, sherwani or formal & for girls Saree. Lastly the day came & we reach at the place at 3:00 PM, as me & Sagun entered in the hall, there was juniors gave us respect and ask to sit & take some snaps with juniors in different styles.

Here I want to give some snaps of entrance of the buddies in the Hall & respect from the lovely juniors:



Now the moments happened in the Hall is as follows:

"Hey Gange tu.........".
"Tere sanso me mere dil ko panah mil jaye, Tere ishq me mera jaan Fannah ho jaye...........". 

Our Honourable HOD Dr. N. C. Sarkar Sir started the program by a song "Hey Gange tu........."gave his wishes to us for our bright future. 

Then Mr. Y. G. Singh Sir wishes for our happy future, & on the request He spoke a dialogue "Tere sanso me mere dil ko panah mil jaye, Tere ishq me mera jaan Fannah ho jaye...........". I asked him that for whom he gave these words. Due to presence of HOD sir he replied that for his wife (No existence till date). 

Then HOD sir move out from the hall due to his time schedule & our enjoyment start with dance on DJ.

Mr. Shaurabh Paliwal Sir, Mr. Shailendra Maurya Sir & Mr. Himanshu Singh Sir were also present in the party to make the party intensive & joyfulness. 

Mr. Shailendra Maurya Sir, Mr. Himanshu Singh Sir, Mr. Shaurabh Paliwal Sir & Mr. Yatindra Gaurav Singh Sir

Juniors planned games for us they decide pairs of buddies to dance, ramp walk, questions......
The pairs were:
Neeraj Anand & Akanksha Dubey.
Ankur Sri. & Kamana Sri.
Naveen Kumar & Anjali.
Ankit Gupta & Divya Tiwari.
Ankit Sri. & Shalini Singh.
Ankit Sri. & Anshika Sri.
Ashutosh Pandey & Shivani Pandey.
Shahul Sarraf & Shikha Sri.
Nitesh Mishra & Kirti Nirupama.
Rajeshwar Singh & Kavita Nayak.
Pragyan Mishra & Sweta Pandey.
Sagun Sri. & Shraddha Sri.
Sirish Rao & Artika Dubey.
Abhishek Jaiswal & Aditi Bhadra .
Kanhaiya Yadav & Manisha Gupta.
Amit Gupta & Anupama Gupta.
Neeraj Yadav & Neha Sri.
Wearing Saree: 
Ankur Srivastava
Shahul Sarraf
Ankit Srivastava 

The memorable moments were— 
Dance on DJ with buddies........
Ramp walk on stage........
Comments during questions...........
Photos & videos shooting with buddies & juniors..........
Virendra & Shalini's talk on stage................
Slogans for us during the gift presentation............
Rajeshwar's poem on College life...............
Sagun & Sirish's couple dance.............
Santosh's mimicry on Nana Patekar & other Bollywood actors...........
Kanhaiya's mimicry on our lovely honourable faculties...............
Asking Neeraj to propose........
Asking Sweta to choose Bad men of Bollywood............
Ratan scolded YG sir for less marks..........
Kirti scolded Nitesh as........
Anshika scolded Ankit..........
Ankit's "Yeh TARA wo TARA... Har Tara......."
Nitesh's Dance.............
Shahul's Style of proposing............
Question to Rajeshwar about his BEBO??
Devesh & Ankur sung song........
Body Chapions.........
Ashutosh's face during ramp........
Meaning of love?? to............
The Most memorable moment was Clip time ......the life of ECEian'10 in college & outer side................emotional & funniest one for all guys....
Saurab Sir's words for missing us...........
YG Sir's words for missing us.........
Anchoring of Harsha Tripathi, Amit Shukla, Ratan Tripathi, Varun & others also sorry I can't get you guys name right now............. 
Some Snaps taken during the party:

Love You......
With KUKKAs. 

Ankur Sri. & Kamana Sri. announced as Mr. & Miss. Farewell of ECE'10 decided by juniors.

Everyone is just singing this lines in their mind & heart------
कब मिलेंगे ना जाने हम यारों फिर से सभी
लौट कर अब ना आयेगे वो मस्ती भरे दिन कभी
हो दिल ये अपना कहे की ऐ दोस्तों
i am really gonna miss this place
i am gonna miss my college dayz
याद है वो सारे लेक्चर
हमने जो बंक किये थे
प्रोक्सी का पकड़ा जाना
हो लफड़े क्या कम किये थे
मिलके लिखना वो एसाइनमेंट
और सबमिट करना लास्ट मिनट में
एक्जाम की वो तैयारी
वो लिखना वो तीन घंटे
और बाहर आके वो कहना
साला क्या बेकार पेपर सेट किया था यार
मिलता फर्स्ट क्लास कभी यहाँ
तो लगती थी बैक भी यही
लौट कर अब ना आयेंगे वो मस्ती भरे दिन कभी
हो दिल ये अपना कहे कि ऐ दोस्तों
i am really gonna miss this place
i am gonna miss my college days
याद आयेगे टीचर्स हमको दिल से हमेशा
याद आएगा ये कैम्पस और इसकी अपनी दुनिया
हो याद आएगा हमेशा ये आशियाँ
i am really gonna miss this place
i am gonna miss my college days 
Group Photo:-

Guys of ECE'10 of Institute of Technology & Management, GIDA, Gorakhpur 

Guys of ECE'10 & ECE'11 of Institute of Technology &Management, GIDA, Gorakhpur.

The program end at 9:30 PM. All the buddies as well as lovely juniors enjoyed each moment of the party & the was memorable moment of our life.

On behalf of as senior I thanks to all juniors i.e, ECEians'11 of ITM for organizing such a nice precious memorable party.

We wish for BRIGHT FUTURE of you all our lovely juniors, God may fulfill all your desires & Dreams comes true.

We Miss You all, all your wishes to us & enjoyment with all you.

With Love & Care:
All Buddies of ECEians'10