Sunday, December 26, 2010

For Shahul 'इक अपने लिए'

Hi I am Rajeshwar Singh from New Delhi, INDIA.........
Created on 26th Dec'10, 11:35 PM in New Delhi.


साहुल के लिए लिखने है कुछ पंक्तिया
जो इसके लिए अभी है ज़रूरी
कई दिनों से कहता था की लिखो मेरे बारे में भी कुछ
इसलिए अब मै करूँगा इसकी तमन्ना पूरी
इक लड़का दीवाना, हसीनायो के ज़ल्वो का
बीबी नज़र आती उसे हर राह चलती नारी
ये तो रही उसकी दिल की बाते
अब बताता हू उसके दिल की खूबी
है ये पढने में होनहार 
वीरवान है वो खेलने में
क्लास का एकमात्र खिलाडी
जिसने जीते मेडल कॉलेज में
कहता अपने दिल की बाते
जब हम होते लॉन में
अपने गलतियों में सुधर के लिए
लेता कसमे हमारे साथ मंदिर में
कॉलेज के पहले साल से हम
साथ बैठते इक ही बेंच पे
खाते साथ टिफिन चुराकर
खासकर दूसरी घंटी में
शगुन की टिफिन खाकर
उसे नाश्ता कराना ढाबे पे
ये लड़का बहुत अलग है सबसे
बात ना होती बिना गाली से
इक बाइक पे चार का बैठना
और जाना उस गली में
होली के त्यौहार पर करना
हुडदंग कॉलेज में और कैंटीन में
आई. टी. आई. में करना ट्रेनिंग
वो गेस्ट हाउस में, होस्टल में
मेरे बर्थडे पर केक काटना
देना टी-शर्ट तोहफे में
मेरे जिंदगी का वो खुबसूरत लम्हा
जो मिला था इस कमीने की वजह से
पी डी में देना मूवीज वो नयी-२
जो करता था डाउनलोड रात में
पीना सोफ्ट-ड्रिंक चंदा लगाकर
पुरे अप्रैल के महीने कैंटीन में
डांस वो करना इसका याद आता है
फेयरवेल, क्लास और फ्रेशेर में
टीचर्स के ऊपर झल्लाना
जब कम आते नंबर सेमेस्टर में
मेरे बचपने पर देना नसीहते
जो साथ देते थे मेरे कामो में
जानता था की ना दूंगा रूपये मै
फिर भी मांगना उधारी मुझसे
जो जाते थे पैसे शगुन के जेब से
वो चौथी घंटी के आखिर में
एक्जाम की रात बाते करना
वो भी उस लड़की के बारे में
चौथे साल में बहाने बनाना 
वो प्रोजेक्ट तैयार करने में
हॉस्टल से कॉलेज आना
हर दिन दूसरी घंटी में 
अब और क्या करू बुराई इसकी
पगला गया होगा ये इतने में
इक नसीहत जो मै देता हू तुम्हे यहाँ पर
कभी मत पड़ना किसी ग़लतफ़हमी में 
जो प्यार-अपनापन है हममे
उसे बनाये रहना पुरे जिंदगी में


For Shahul 'इक अपने लिए'
By-
राजेश्वर सिंह 'राज्श'