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Thursday, August 25, 2011

Love

Hi I am Rajeshwar Singh from New Delhi INDIA.........



For love from love,
To love by love.
I pour all my feelings on you,
but scared about tomorrow.
I know you are always with me,
but I scared about your sorrows.
You are also aware about my love,
& emotions you feels mostly.
But how can I realize your feelings,
& how can I tell you my emotions.

Monday, April 4, 2011

Be in touch

Hi I am Rajeshwar Singh from Hyderabad, INDIA.........


I received this message from one of my fast friend on 27th March'11, but didn't read at that time.. Yesterday i was clicking the Inbox, I saw this message. This message realizes me the goodness of  being in touch. In last few days, due to some unhappy moments (missed to attend Convocation & was hurt by one of my close friend), I had seen, I developed attitude to go away from the ITMians & thats why I deleted myself from mostly communities on FACEBOOK, but I can't do this any more. I have to live myself as I wanna, will never miss contact from all due to one or some silly moments. 
So Sorry to all. I am back to MASTI with you all.

One day we all be sitting and thinking hard about life.
How it changed from simple college life to restrict professional life.

How pocket money changed to huge monthly pay cheque, 
but gives less happiness.
How a few local jeans changed to new branded wardrobe, 
But less occasions to use them.
How a single plate of samosa changed to a full pizza, 
But hunger is less
How a cycle always in reserve, changed to a car always on, 
But less places to go.
How a tea by roadside to CCD, Barista, 
But it feels as if the shop is far away.
How a general class journey changed to flight journey, 
but less vacations for enjoyment
And many more
May be this is the truth of journey called "LIFE".

Dedicated to all my friends.
Plz stay in touch always.
Be in touch & keep smiling my face.
I smiles when I saw you are smiling.

Wednesday, March 30, 2011

देखा तुझे मै

Hi I am Rajeshwar Singh from Hyderabad INDIA.........

Date & Time: 30th March'11, 6:51PM
I am happy to write this idiotic emotions:


देखा तुझे मै जब कभी भी
चेहरा कि लाली य़ू बढ़ गयी
पीकर तेरे आँखों की शोहबत 
ये दिल बिन पीये, नशीली हो गयी
जब भी तुमसे प्यार किया मै
सारे गम पल भर में मिट गए
किस्मत का लिखा ना कोई जाने
कल थे पराये, आज हम इक हो गये
सबकी आँखों में आँखे दिखने लगी
कुछ यूँ तुम्हारी इबादत हो गयी
यादों के पहलु में तुम कुछ ऐसे बैठे
और किसी की फिकर ना रह गयी
देखा तुझे मै जब भी कहीं भी
चेहरा कि लाली य़ू बढ़ गयी
यादों को सिरहाने लेकर बैठा था मै
जब तुम मिले थे मुझसे उस कोने में 
हाथो में हाथ अब आ गये है 
बाकी मंजिल भी य़ू ही मिल जाएगी
तेरा साथ जो मिल गया है
बाकी मंजिल भी मुझे मिल जाएगी

'देखा तुझे मै'
By: राजेश्वर सिंह 'राज़्श'

Sunday, December 26, 2010

For Shahul 'इक अपने लिए'

Hi I am Rajeshwar Singh from New Delhi, INDIA.........
Created on 26th Dec'10, 11:35 PM in New Delhi.


साहुल के लिए लिखने है कुछ पंक्तिया
जो इसके लिए अभी है ज़रूरी
कई दिनों से कहता था की लिखो मेरे बारे में भी कुछ
इसलिए अब मै करूँगा इसकी तमन्ना पूरी
इक लड़का दीवाना, हसीनायो के ज़ल्वो का
बीबी नज़र आती उसे हर राह चलती नारी
ये तो रही उसकी दिल की बाते
अब बताता हू उसके दिल की खूबी
है ये पढने में होनहार 
वीरवान है वो खेलने में
क्लास का एकमात्र खिलाडी
जिसने जीते मेडल कॉलेज में
कहता अपने दिल की बाते
जब हम होते लॉन में
अपने गलतियों में सुधर के लिए
लेता कसमे हमारे साथ मंदिर में
कॉलेज के पहले साल से हम
साथ बैठते इक ही बेंच पे
खाते साथ टिफिन चुराकर
खासकर दूसरी घंटी में
शगुन की टिफिन खाकर
उसे नाश्ता कराना ढाबे पे
ये लड़का बहुत अलग है सबसे
बात ना होती बिना गाली से
इक बाइक पे चार का बैठना
और जाना उस गली में
होली के त्यौहार पर करना
हुडदंग कॉलेज में और कैंटीन में
आई. टी. आई. में करना ट्रेनिंग
वो गेस्ट हाउस में, होस्टल में
मेरे बर्थडे पर केक काटना
देना टी-शर्ट तोहफे में
मेरे जिंदगी का वो खुबसूरत लम्हा
जो मिला था इस कमीने की वजह से
पी डी में देना मूवीज वो नयी-२
जो करता था डाउनलोड रात में
पीना सोफ्ट-ड्रिंक चंदा लगाकर
पुरे अप्रैल के महीने कैंटीन में
डांस वो करना इसका याद आता है
फेयरवेल, क्लास और फ्रेशेर में
टीचर्स के ऊपर झल्लाना
जब कम आते नंबर सेमेस्टर में
मेरे बचपने पर देना नसीहते
जो साथ देते थे मेरे कामो में
जानता था की ना दूंगा रूपये मै
फिर भी मांगना उधारी मुझसे
जो जाते थे पैसे शगुन के जेब से
वो चौथी घंटी के आखिर में
एक्जाम की रात बाते करना
वो भी उस लड़की के बारे में
चौथे साल में बहाने बनाना 
वो प्रोजेक्ट तैयार करने में
हॉस्टल से कॉलेज आना
हर दिन दूसरी घंटी में 
अब और क्या करू बुराई इसकी
पगला गया होगा ये इतने में
इक नसीहत जो मै देता हू तुम्हे यहाँ पर
कभी मत पड़ना किसी ग़लतफ़हमी में 
जो प्यार-अपनापन है हममे
उसे बनाये रहना पुरे जिंदगी में


For Shahul 'इक अपने लिए'
By-
राजेश्वर सिंह 'राज्श'