Hi, I am Rajeshwar Singh, Razu for friends, here with my love, from Srinagar, J&K, India:-
वादिया और एहसास
By:
राजेश्वर सिंह 'राजू'
तुम्हारी याद आज मुझे फिर से हँसा गया
तुम्हारी याद में मै फिर से मुस्कुरा गया
यादों में फिर से डूब गया ये दिल
ये दिल फिर तुम पर य़ू ही छा गया
हवा के मानिंद झोके एहसास कराने लगे
जैसे गुजरा हो तुम्हारा दुपट्टा मेरे सामने से
यहाँ की वादियो की हरी भरी हरियाली
मदहोश करने लगी तुम्हारे प्यारे यादों में
मरने को जी करता है
यहाँ की खुबसूरत हसीनाओ पर
पर क्या करूँ मै इस दिल का
जो पहले ही मर मिटा है तुम पर
हवा की सर्र सर्र आवाज़े ऐसी लगती है
जैसे अभी-२ राजू कहकर तुम गुज़री हो
पलकों के झपकने पर दिल ढूंढ़ लाता है
खुबसूरत चेहरा, जैसे कोई गुलाब अभी-२ खिला हो
जब भी लुत्फ़ उठाता हूँ किसी खास व्यंजन का
तुम्हारे नरम-मुलायम हाथो का एहसास हो ही जाता है
जब भी घूमता हूँ किसी नए जगह पर
तुम्हारा प्यारा एहसास साथ हमेशा होता है
सोने ना देती है ये खुबसूरत वादिया
एहसास कराती है तुम्हारे साथ का
खोया रहता हूँ तुम्हारे इस बेहतरीन साथ में
क्यूंकि ये एहसास ही मुझे खुश रखता है
वादिया और एहसास
By:
राजेश्वर सिंह 'राजू'