मैंने जैसे ही फेसबुक अकाउंट खोला, एक मित्र द्वारा साझा किया 'फास्टेस्ट लेडी बैंकर" का पोस्ट दिखा। पोस्ट में बैंक के केबिन में एक महिला दिख रही थी, जिनके हाथ में कुछ नोट थे। जिज्ञासावश मैंने भी उस पोस्ट पर क्लिक किया, यूट्यूब पर एक वीडियो खुला, जिस वीडियो में एक महिला कैशियर कुछ रुपयों के नोटों को एक एक करके कॉउंटर मशीन में डाल रही थीं। उन महिला के काम करने की गति बहुत धीमी थी।
मुझे उनके काम करने की गति में थोड़ी असहजता लगी, तो मैंने सोचा की गूगल बाबा से पूछ लेते है क्या सच्चाई है, जैसे ही मैंने फास्टेस्ट लेडी बैंकर लिखकर सर्च बटन दबाया, मुझे कई सारे लिंक मिलने लगे पर कोई भी ऐसा नही था जिस पर सच्चाई मानी जा सके। फिर न्यूज़ टैब पर देखा तो कई सारे विश्वसनीय लिंक मिले, जिनमे कुछ समाचार संस्था भी थे।
वहाँ पता चला "महिला श्रीमती प्रेमलता शिंदे,"महाराष्ट्र बैंक" में खजांची हैं और दो दिल के दौरे और एक पक्षाघात स्ट्रोक झेलकर भी बच गई हैं। शिंदे अगले साल फरवरी में सेवानिवृत्त हो रहीं हैं और पर्याप्त पूर्ण वेतन के साथ सेवानिवृत्ति तक घर पर बैठने के लिए उनके पास छुट्टियाँ जमा है, फिर भी उन्होंने एक सम्मानजनक तरीके से अपनी सेवा समाप्त करने के लिए चुना है। उसकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए, उनकी शाखा ने उनके लिए एक अतिरिक्त कैश काउंटर की स्थापना की, इन सबके अलावा, शिंदे जी के पति का निधन हो गया है और उनका बेटा विदेश में रहता है खुद के लिए काम कर रहीं है।"
सरकारी संस्थानों में कभी कभी कुछ ऐसे धीमी गति से काम करते हुए कर्मचारी मिल जाते है। मगर कभी जान बूझकर धीमी गति से काम करने वाले नही मिलते। जिन महाशय व्यक्ति ने ये वीडियो साझा किया, उन्होंने सोचा होगा कि इससे वो देश में एक बदलाव ला रहे हैं। साझा करने वाले भी यही सोचकर साझा किये होंगे कि जो पोस्ट है वो वाकई ठीक है और उनको साझा करके वो देश के तरक्की में अपना कोरम पूरा कर दिए। गलतियों को साझा करना सही है परंतु उसके पीछे का कारण पता करने के बाद।
कुछ वक़्त पहले एक और वीडियो ट्रेंड में आया था, जिसमे एक दिल्ली के पुलिस "सलीम" जी को मेट्रो में गिरते हुए दिखाया गया था। दिल्ली पुलिस से उन्हें निष्कासित भी कर दिया गया परंतु चिकित्सीय जाँच में पाया गया की उन्हें पक्षाघात स्ट्रोक हुआ था, जिसकी वजह से वो दिल्ली मेट्रो में गिर पड़े थे। फिर उनकी बहाली हुई।
आजकल समस्याओं को महान हस्तियों से जोड़कर कुछ अफवाहें फैलाई जा रही हैं, जिनमे से एक का उदाहरण मैं दे रहा हूँ, जिसे लगभग आठ-नौ मित्रो को समझा चुका हूँ। मैसेज/मेल/पोस्ट होता है पार्टी में बचे भोजन को गरीबों में बाँटने के लिए १०९८ (1098) पर कॉल करें और संस्था आपके घर से भोजन ले जाकर गरीब बच्चों में बाँट देगी। इस अफ़वाह के चलते चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन को कई फ़ोन कॉल मिलते है, जिनमे बताया जाता है कि "हमारे यहाँ पार्टी हुआ है, कुछ खाना बचा है आप ले जाइये"। चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (सीआईएफ) महिलाओं के संघ एवं बाल विकास मंत्रालय की नोडल एजेंसी है, जो देश भर में चाइल्डलाइन 1098 सेवा की स्थापना, प्रबंधन और निगरानी के लिए बुनियादी संगठन है। जो बाल संरक्षण के मुद्दे जैसे, "दुर्व्यवहार और हिंसा, तस्करी, बाल श्रम, कानून के साथ संघर्ष, बाल विवाह, बाल यौन शोषण, माता पिता की देखभाल के बिना गली के बच्चे, जन्म पंजीकरण, सशस्त्र संघर्ष, विकलांगता, दवाई का दुरूपयोग, बच्चियों, एचआईवी-एड्स संक्रमित बच्चे, ग़ुम बच्चे इत्यादि" का समन्वयन करती है।
ना जाने कितने ऐसे केस होते है, जिन्हें हम बेवजह ही इतना बढ़ावा दे देते है कि उस इंसान या संस्था को परेशानी और शख्सियत के साथ साथ देश के भी साख को नुक्सान होता है।
वीडियो या पोस्ट को ट्रेंड में लाने के लिए एक व्यंगात्मक/टिप्पणीनात्मक शीर्षक देखकर साझा ना करें। चंद पसंद और टिप्पणी के लिए कुछ भी प्रकाशित करने से पहले उसके सत्यता की जाँच कर लें।
आजकल कुछ फ़र्ज़ी समाचार संस्थाये भी ऐसे लेख, फोटो और वीडियो को पोस्ट कर लोगो को दिग्भ्रमित कर रहीं है, इसलिए सजग रहिये, सचेत रहिये और देश की तरक्की में सहयोग करते रहिये।
जय हिन्द!
राजेश्वर सिंह
#rajeshwarsh
मेरे पुराने पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।