Sunday, July 24, 2011

वादिया और एहसास

Hi, I am Rajeshwar Singh, Razu for friends, here with my love, from Srinagar, J&K, India:-

तुम्हारी याद आज मुझे फिर से हँसा गया
तुम्हारी याद में मै फिर से मुस्कुरा गया
यादों में फिर से डूब गया ये दिल
ये दिल फिर तुम पर य़ू ही छा गया

हवा के मानिंद झोके एहसास कराने लगे
जैसे गुजरा हो तुम्हारा दुपट्टा मेरे सामने से
यहाँ की वादियो की हरी भरी हरियाली 
मदहोश करने लगी तुम्हारे प्यारे यादों में 

मरने को जी करता है 
यहाँ की खुबसूरत हसीनाओ पर
पर क्या करूँ मै इस दिल का
जो पहले ही मर मिटा है तुम पर

हवा की सर्र सर्र आवाज़े ऐसी लगती है
जैसे अभी-२ राजू कहकर तुम गुज़री हो 
पलकों के झपकने पर दिल ढूंढ़ लाता है
खुबसूरत चेहरा, जैसे कोई गुलाब अभी-२ खिला हो

जब भी लुत्फ़ उठाता हूँ किसी खास व्यंजन का
तुम्हारे नरम-मुलायम हाथो का एहसास हो ही जाता है
जब भी घूमता हूँ किसी नए जगह पर
तुम्हारा प्यारा एहसास साथ हमेशा होता है

सोने ना देती है ये खुबसूरत वादिया
एहसास कराती है तुम्हारे साथ का
खोया रहता हूँ तुम्हारे इस बेहतरीन साथ में 
क्यूंकि ये एहसास ही मुझे खुश रखता है

वादिया और एहसास
By:
राजेश्वर सिंह 'राजू'

Sunday, July 17, 2011

For a friend by a friend

Hi I am Rajeshwar Singh from Srinagar, Jammu & Kashmir, INDIA.........

For a friend by a friend,

जिंदगी के सबसे हसीन मोड़ पर, 
तुमसे यूँ मुलाकात हुआ
हँसते-२ बीतने लगे ये दिन, 
कुछ ऐसा मुझे एहसास हुआ

मेरे दुखो में परेशान होने वाली
हर दुःख दर्द में साथ देने वाली
कॉलेज में बहुत सहमी-२ दिखने वाली 
पर आज है दुनिया से कदम मिलाने वाली

उलझनों में मुझे समझाने वाली 
खुरापात पर बोलने और झगड़ने वाली
पर खुद ही माफ़ी मांगने वाली 
गम में भी सबके साथ खुश रहने वाली 

कोई कुछ कहें ना कहें, या कुछ ना बोलें
पर मै ये बोलता हूँ कि वो बहुत प्यारी है
वो खुद के बारे में कुछ सोचे या ना सोचे 
पर मै ये कहता हूँ कि वो इक पगली है

ज़न्मदिन पर ये पंक्तिया मैंने लिखी है
ये पंक्तिया उसके लिए, मैंने उकेरी है 
पा जाए वो अपने शिखर को, 
यही मेरे दिल की तमन्ना है 

ज़न्मदिन की हार्दिक शुभकामनाये गरिमा
For a friend by a friend,
By:
राजेश्वर सिंह 'राज्श'