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Tuesday, November 2, 2010
For my belove one
Hi I am राजेश्वर सिंह From गोरखपुर, भारत.........
तुम इतने खुबसूरत हो कि
ये मेरे अलफ़ाज़ य़ू निकल गए
तुम मिल गये मुझे जिंदगी में
तो ये काफिले मेरे बढ़ गए............
गुथूं कुछ शब्द अपने अल्फाजो के
ग़ज़ल बन जाता है तुम पर
उस पर निखार आ ही जाता है
जब भी निहार लेते हो तुम उन पर
बहक जाता हूँ जब भी कुछ बयां करता हूँ
तुम्हारा शबाब ही भारी पड़ता है सब पर
भोर पहर में बागो से कोयल की मीठी बोली
सुरीली राग भी कम पड़ जाता है तुम्हारे मीठे बोलो पर
सोचूं गर कोल्ड ड्रिंक्स पीने को
मज़ा, फ्रूटी खुद ब खुद आ जाता लब पर
राह चलते भी चेहरा याद आता है
जब भी नज़र पड़ती है हसीनाओ पर
होठो पर कुछ बोल आ ही जाता है
बाते करते हुए मुस्कुराना तुम्हारा याद आने पर
उन आँखों में अपनापन लगता है
जो मिलती है औरो से चुराकर
नर्म हाथो से माथे पर टीका लगवाने को जी चाहता है
जो लगाते थे तुम अपने नयनो से हटाकर
तुमसे हर बात पर ही तकरार ही होता है
फिर भी हम करते है इक दूजे से प्यार
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