पत्र: ५ (१८ जनवरी २०१७)
पत्र उनके लिए जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भारतीय जनता पार्टी के समर्थक है!
प्रिय भाजपा समर्थको,
नमस्कार!
आशा है आप सभी सकुशल होंगे, और आगामी विधान-सभा चुनावों के लिए तैयार होंगे। कहते है कि सारे देश की मनोदशा उत्तर प्रदेश से होकर जाती है। और सभी राष्ट्रीय दल अपने चुनावी दाव-पेंच लगाने में जुटे हुए है।
अभी अभी ताजा खबर मिला कि माननीय श्री एन डी तिवारी अपने जैविक पुत्र रोहित शेखर के साथ भाजपा में शामिल हो गए। वही तिवारी जी जिनकी उम्र आज लगभग इक्यानवे साल हो चुकी है और जिन्होंने एक युवा को तब अपना पुत्र माना जब सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया वो भी डीएनए टेस्ट करवा कर। खैर मैं क्या कहूँ राजनीति से मेरा प्रत्यक्ष या परोक्ष कुछ भी लेना देना नही है परन्तु जब देश एक तेज गति से विकासशील से विकसित राष्ट्र की तरफ बढ़ रहा है, ऐसे समय युवाओं को ना मौका देकर ऐसे निर्लज्ज (माफ़ करियेगा इस शब्द के लिए) को राष्ट्रीय दल में शामिल करना शोचनीय है। वैसे भी जब प्रधानमंत्री श्री मोदी जी अपने भाषणों में कुशल वक्ता के तौर पर युवाओं को मौका और एक उच्चीकृत मानसिकता से राष्ट्रहित में काम करने की बात करते है।
जब आपके दल में ही ऐसे वृद्ध और अवगुण से परिपूर्ण (अपने पुत्र को पुत्र ना मानना, परमहिलाओं से यौन सम्बन्ध, राजभवन में यौन संतुष्टि के लिए कई महिलाओं से अंतरंग सम्बंध) राष्ट्र नेता सम्मिलित होंगे तो फिर इस देश का क्या हाल होगा? महिला सशक्तिकरण, युवाओं का साथ, नवाचार, दूर की सोचने की बात करते है ऐसे समय में ९१ साल के वयोवृद्ध ठरकी (जो ८८ साल की उम्र में शादी करता है, वो भी सर्वोच्च न्यायालय से फजीहत होने के बाद) को दल में शामिल करके कौन सा राष्ट्रहित में काम कर रहे है?
आख़िरकार तिवारी परिवार के साथ साथ बहुगुणा जोशी परिवार, खंडूरी परिवार, आर्य परिवार के सगे-सम्बंधियों को चुनाव में उम्मीदवार बनाकर परिवारवाद की कौन सी परिभाषा बन रही है? क्या एक दल की चोली या धोती उतारकर दुसरे की पहनने से एक नपुंसक, पुरुष या महिला में परिवर्तित हो जाता है? और उसकी सोच बदल जाती है?
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मेरे जैसे कइयों के दिमाग में ये प्रश्न कौंध रहा होगा, आखिर कौन से मामले में भाजपा दल कांग्रेस, सपा, बसपा, द्रमुक आदि दलों से अलग है? कब तक वही पुराने गणित पर गिनती करेगा? कुछ तो नवाचार की सम्भावना बनाओ।
तब तो सबको एक और मौका मिलना चाहिए, ललित मोदी, विजय माल्या, सुब्रतो सहारा, आसाराम, अमरमणि, अमनमणि इत्यादि को भी....................
एक कटाक्ष: डब्लूएचओ (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन) को एचआईवी/एड्स से होने वाले बीमारी में तिवारी कथा को शामिल कर लेना चाहिए, कि अंजान पुरुष/महिला से असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने पर आपका एक औलाद भी हो सकता है जो डीएनए टेस्ट से आपके कमाई से हिस्सा ले लेगा।
शेष फिर.......
पत्र: ४
राजेश्वर सिंह (#rajeshwarsh)
नई दिल्ली, भारत