Sunday, March 5, 2017

पत्र: ९ (५ मार्च २०१७)

पत्र: ९ (५ मार्च २०१७)

पत्र श्रृंखला के आज के अंक में एक प्रेमी का पत्र एक भूतपूर्व प्रेमिका को जिसकी शादी कई साल पहले हो गई,

डिअर एक्स,
आशा है सकुशल होगी और अपने पति के साथ मौज कर रही होगी। इस पत्र को लिखने के पीछे का उद्देश्य सिर्फ यही है कि मैं तुमसे वो सब कह जाऊं जो पिछले कुछ दिनों से महसूस कर रहा हूँ। तुम ये जरुर सोच रही होगी कि आखिर इतने सालों बाद क्या जरूरत पड़ी, जो तुम्हे पत्र लिख रहा हूँ। जो इंसान तुम्हे शादी की बधाई ना दिया, तुमसे बात करना छोड़ दिया, आज पत्र क्यों लिख रहा है।

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कल मेरी शादी है अभी रात के दो बज रहे है कुछ ही पलों में सुबह हो जायेगी और समारोह के विभिन्न अनुक्रमों में व्यस्त हो जाऊँगा। मैं ये पत्र व्हाट्सएप्प पर लिख रहा हूँ, जानती हो क्यों? क्योंकि जबसे मेरी शादी फिक्स हुई है हमेशा मेरे दोस्त तुम्हारी याद दिला रहे है और मैं चाहता हूँ की शादी के बंधन में जुड़ने से पहले मैं अपने अन्दर की बातों को तुमसे साझा कर दूँ। तुमको शायद नहीं पता पर तुम्हारे लिए मैंने अपने कई करीबियों के दिल को चाहे-अनचाहे दुःख पहुचाया है। तुमसे मिलने के लिए मैं छात्रसंघ चौराहे पर अपने दोस्त को मोटरसाइकिल से उतार देता था, क्योंकि वहाँ से तुम साथ आती थी और बेचारा दोस्त वहाँ से मोहल्ले तक पैदल जाता था।

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तुम्हारे जिद करने पर डोसा खाने के लिए जब चौधरी रेस्तरा जाते थे तो डोसा के साथ साथ तुम्हारी मंचूरियन और फ्राइड राइस की चाह हो जाती थी। इस चक्कर में बजट ढीला हो जाता था, अन्दर ही अन्दर परेशान हो जाता था, तुम्हे कैसे पता होगा, तुम तो खाने और खिलाने में व्यस्त होती थी। तुम्हे पता है? कईयों बार मैं पेसाब करने के बहाने बाथरूम जाता था पर वो पेसाब करने नही बल्कि बिल पेमेंट करने के लिए या तो दोस्त को फ़ोन करने जाता था या फिर पैसे लेने (जो वो दस किलोमीटर आकर देते थे)।

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तुम्हे तो याद नही होगा पर मुझे आज वो दिन अच्छी तरह याद है जब यूनिवर्सिटी में तुम्हारा प्रोग्राम था और उसके लिए मैं दुसरे शहर से आया था जबकि मुझे उस सभागार में प्रवेश ही नहीं मिला था क्योंकि मैं युनिवर्सिटी से नही था? याद आया? थोड़ा सोचो शायद याद आ जाए। 
कई सारी यादें है तुम्हारे साथ के, जो मिटे नही। वैसे मैंने कोई खास कोशिश भी नही किया कि उन यादों को मिटा दूँ। 
एक चीज तो तुम्हे बताना भूल ही गया, जो मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। वैसे भी तुम्हे तो पता ही होगी और इसे बताते हुए मुझे हँसी भी आ रही है, आज वो बात सच हो रहा है जो मैं तुमसे अक्सर कहा करता था कि मेरी शादी अगर तुमसे नही हुई तो तुम्हारी सहेली से होगी और ये बात आज सच हो रहा है। ये एक अरैंजड मैरिज है और ये बात भी मेरी दीदी ने मुझे कुछ दिन पहले बताया। वैसे भी तुम्हारी सहेली तुमसे तो समझदार है, जानती हो क्यों? क्योंकि वो हर उस चीज़ का ख्याल रखती है जिसके लिए मैं कभी सोचता था कि तुम ख्याल रखो। 

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तुम मेराबर्थडे तक नही विश करती थी, और तुम्हारी सहेली ने मुझे गिफ्ट दिया, क्या दिया है, जानना चाहती हो? वही जो तुमसे कभी जिक्र किया था, मेरा खैर अब तुमसे क्या! तुम अपने में खुश रहो और मैं भी खुश रह लूँ। दो तीन दिन पहले तुम्हारी सहेली ने बताया कि तुम शादी में शायद आ रही हो, इसलिए मैंने सोचा कि कुछ तो लिखूँ तुम्हारे बारे में जो तुम पढ़ लो जिन्हें मैं सामने जगजाहिर ना कर पाऊं, और ये सलाह तुम्हारी सहेली ने ही दिया है कि एक पत्र लिखकर अपने बातें साफ़ साफ़ रख दो, इसलिए मुझे कोई डर भी नही। 
तुम्हे शादी की काफी देर बाद शुभकामनाए!

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तुम्हारे सहेली के आने से,
मेरी आने वाली जिन्दगी दिलचस्प होगी। 
आज जज्बातों पर साथ दी, 
कल कई और सपनो में साथ होगी ॥ 

तुम्हारे सहेली का आर!



पर्सनल नोट: इस पत्र को मुझसे (राजेश्वर) से जोड़कर ना पढ़े, इस पत्र की कहानी सत्य है परन्तु नाम, जगह और तिथियाँ बदल दी गई है। इसे पढ़े और अपने मित्रो के साथ शेयर करें।
और जब भी मेरी कृतियाँ पढनी हो या ऑनलाइन शॉपिंग करें, गूगल पर RAJESHWARSH सर्च करके मेरे ब्लॉग पर जरुर आए। 
धन्यवाद! 


Friday, March 3, 2017

पत्र: ८ (३ मार्च २०१७)

पत्र: ८ (३ मार्च २०१७)

पत्र कल होने वाले मतदान में मत देने वाले मतदाताओं को,

प्रिय मतदाताओं,
नमस्कार!
आशा अनुरूप आप लोग भी हमारे जैसे एक बेहतर समाज के लिए मतदान करेंगे या करने को सोच रहे होंगे और कहीं ना कहीं एक आस लगाए होंगे कि आगामी चुना हुआ प्रतिनिधि आने वाले पाँच सालो में देश/प्रदेश निर्माण के लिए बेहतर काम करें।

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इस समय मैं भी अपने निवास स्थान पर हूँ, जहाँ से मैं एक मतदाता के तौर पर पंजीकृत हूँ। इस चुनावी गर्मी में, कुछ राजनीतिक और गैर राजनीतिक व्यक्तित्व से कुछ चुनावी पहलुओं पर परिचर्चा हुई। इन्ही कुछ परिचर्चाओं में लोगो के अंदर राज्य सरकार से फैली निराशावाद और केंद्र सरकार के आशावादी विचारधारा ने लोगो को भाजपा के तरफ मोड़ा है। माहौल की बात करें तो केंद्र सरकार के नोटबंदी फैसले ने कहीं ना कहीं लोगो के मन में एक सकारात्मक विचार पैदा कर दिया है। मतदाता २०१४-लोकसभा चुनाव के जैसे मोदी के नाम पर मतदान करने जा रहे या फिर जाएँगे।

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परन्तु कहीं ना कहीं प्रदेश राजनीति से जुड़ा हुआ भाजपा प्रतिनिधित्व कमजोर नजर आ रहा है। प्रदेश में भाजपा प्रत्याशियों का गलत चुनाव, दल-बदलुओ को प्राथमिकता कहीं ना कहीं मतदाताओं और कार्यकर्ताओं को निराश कर रहा है। 
अगर मैं अपने विधानसभा क्षेत्र की बात करूँ तो वर्तमान विधायक १०वीं पास है जिन्हें MLA का abbreviation नही पता है, राष्ट्र गान और राष्ट्र गीत के बारे में नही पता है, फिर भी नाम के आगे डॉ लिखते है। किस विषय वस्तु अथवा रोग पर डॉक्टरी किये है, राम जाने। इस बार भी वो सपा दल से प्रत्याशी है।

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अब बात करूँ भाजपा की तो भाजपा से समर्थन प्राप्त दल ने ऐसे व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया है जो २०१२ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दल का प्रत्याशी था, इस कारण हमारे जैसे कई मतदाता ऐसे स्थिति में है जहाँ आगे कुआँ और पीछे खाई है।
अंत में इतना ही कि NOTA (नन ऑफ़ द एबभ) प्रचलन में नही है।
मतदान करूँगा पर किसे, पता नही? आप भी मतदान करना, क्योंकि ये हमारा संवैधानिक हक़ है।

शेष फिर.....
पत्र: ८
राजेश्वर सिंह
कुशीनगर, भारत
#rajeshwarsh