Hi I am Rajeshwar Singh From Gorakhpur INDIA.........
दिनांक: २१ अक्टूबर'१०
समय: १:०० रात
अपनापन---
राजेश्वर सिंह 'राज्श'
नोट: इस पंक्तियों को कुछ दिनों में और बढ़ाऊंगा......
दिनांक: २१ अक्टूबर'१०
समय: १:०० रात
१. उन दो आँखों में अपनापन लगता है
डूब जाने को मेरा जी करता है
कल क्या होगा ना मुझे पता ना तुम्हे पता
फिर भी कल तुम्हारे साथ जीने को मन करता है.
२. सफ़र में होता हू जब भी तुम्हारे साथ में
दिल में इक कशमकश सा होता है
जब हो जाते है तुम्हारे हाथ मेरे हाथो में
जिंदगी के हसीन कारवे साथ लगता है
३.जब भी देखता हू उन मासूम सी आँखों में
बावरा ये मेरा दिल ऐसे मचलता है
जैसे चमन के अधखिले कलियों पे
भौरों का झुण्ड मंडराता है
डूबकर पहुच जाऊ उस प्यारे दिल में
ऐसी हमेशा ख्वाहिश रहती है
दर्शन कर लू उन दरो दीवारों के
जिस पर मेरा नाम हर जगह लिखा है
४. तुमसे कह दू अपने दिल की बात
क्या तुम मेरा दोगी साथ
जीवन के कठिन डगर पर
हर इक सफलता के साथ
मेरे परेशानियों पर
परेशान होगी मेरे साथ
उम्र के उस अंतिम दहलीज़ पर
डाटोगी मेरे गलतियों पर
याद करके पुराने दिनों को
और फिर हँसोगी मेरे साथ?
अपनापन---
राजेश्वर सिंह 'राज्श'
नोट: इस पंक्तियों को कुछ दिनों में और बढ़ाऊंगा......