Tuesday, September 8, 2015

‪‎पल भर का प्यार‬: ७

‪#‎पल_भर_का_प्यार‬: ७ 

अमोल अपने मामा के घर हर गर्मी की छुट्टी कि तरह नौवीं कक्षा की परीक्षा के बाद गया था। वो छुट्टियों मे अपने मामा के घर पर रहता था। एक रोज वो बालकनी मे बैठे अखबार पढ़ रहा था कि अचानक उसकी नजर सामने के मकान की बालकनी मे पड़ी जहां एक लड़की कुर्सी पर बैठे अखबार पढ़ रही थी, उसकी पीठ अमोल की तरफ थी। अमोल अखबार के कोने से उन काली-काली जुल्फों वाली लड़की के चेहरा देखने की कोशिश करने लगा। वो लड़की अखबार पढ़ने मे व्यस्त थी। उसके सफ़ेद रंग के कमीज पर लाल रंग के गुलाब छपे हुये थे। कभी कभार हवा के झोंके से उसके अखबार के पन्ने हिलने लगते तो वो उसे संभालने लगती, कभी पन्नो को संभालने मे तो कभी हल्के हल्के हवा के झोंको से उसका लाल रंग का दुपट्टा कंधे से गिर जाता था, दुपट्टे के पल्लो के गिर जाने पर वो फिर से उन्हे उठा कर अपने कंधो पर रख लेती। अखबार पढ़ने के बाद लड़की ने अखबार सामने रखे हुये छोटे मेज पर रखी और मेज पर रखे जग के पानी को पास के ही गमले मे डालने लगी। इस पल उसका चेहरे की खूबसूरती को देखकर अमोल का दिल गद्गद हो गया। गमलों मे पानी डालने के बाद वो घर के अंदर चली गई। 

अमोल उस लड़की को देखकर खुश हो गया। अमोल के मन-मस्तिक मे उसका चेहरा का एक प्रतिबिंब बन गया। ममेरे भाई से पता किया तो पता चला कि उसका नाम मुस्कान है और वो पास के ही शहर के एक विद्यालय मे दसवीं मे पढ़ती है, वो अपने बुआ के घर छुट्टी मे आई हुई है। 

तीन चार दिन तक ऐसे ही चलता रहा, मुस्कान ७ से साढ़े ७ बजे के बीच आती और आधे घंटे तक अखबार पढ़ने के बाद घर मे चली जाती थी। अमोल मुस्कान को अखबार पढ़ते देखते रहता और कोशिश करता कि मुस्कान भी अमोल की तरफ देखे पर ऐसा कुछ नही होता था। पूरे दिन मे केवल कुछ सेकंड के लिए ही अमोल मुस्कान का चेहरा देख पाता, जब वो गमलों मे पानी डाल रही होती। उसके बाद वो पूरे दिन कभी नजर नही आती थी। 

एक दिन मुस्कान की झलक पाने के लिए अमोल सुबह-सुबह कुर्सी लगाकर बालकनी मे बैठा था। उस दिन कुर्सी का स्थान थोड़ा खिसका हुआ था और मुस्कान उसकी तरफ अपना चेहरा करके अखबार पढ़ रही थी। अमोल के खुशी का ठिकाना ना रहा, वो मन ही मन हँसने लगा और अख़बार के ऊपर और किनारों से रह रह कर मुस्कान को चुप-चुपके देखते रहता। दो तीन दिन और बीत गए इस बीच मुस्कान भी अपने अख़बार के ऊपर से अमोल से ताक झाक करने लगी। एक रोज अमोल मुस्कान को चिढ़ाने के लिए ठीक वैसे ही नाटक करने लगा जैसा कि मुस्कान कर रही होती। अगर मुस्कान अख़बार के पन्नो को मोड़ती, तो अमोल भी अखबारों के पन्नो को मोड़ने लगता। जब वो अपने पन्ने पलटती, अमोल भी ठीक वैसे ही करता। वो अपने पैरो के ऊपर पैर रखती तो अमोल भी अपने पैर के ऊपर दूसरा पैरा रख लेता। अमोल के इस क्रिया से मुस्कान अपने होठों पर हाथ रख के हंसने लगी। इन नटखट नटखट हरकतों और सुबह सुबह के आँखों के मिलन से अमोल के दिल मे कुछ कुछ होने लगा था। 

गर्मियों का दिन खत्म होने वाले थे, अमोल सोचने लगा कि अब क्या होगा। उसे वापस अपने घर चले जाना है, और मुस्कान फिर से मिलेगी या नही मिलेगी। मुस्कान से दोस्ती करें तो कैसे करें, मुस्कान के मोबाइल का नंबर वो कैसे मांगे ये समझ भी नही पा रहा था। एक दिन जब दोनों अपने अपने बालकनी मे बैठे थे तो अमोल को एक बात सूझी, वो अपने हाथों के इशारे से मुस्कान से उसका मोबाइल नंबर मांगा। मुस्कान ने हाथो से इशारा करके बताया कि मुस्कान के पास कोई अपना मोबाइल नही हैं। अब अमोल करें तो क्या करें, अमोल के दिमाग मे एक दूसरा विचार कौंधा, वो इशारों से मुस्कान को बताया कि वो अमोल का नंबर लिख ले फिर कॉल कर दे। मुस्कान ने पास मे रखे पेन से अख़बार पर ही लिखने लगी, अमोल ने अपने हाथ के उँगलियो और अंगूठे के सहारे मुस्कान को अपना नंबर लिखवा दिया। 

इसके अगले दिन ही अमोल अपने शहर लौट गया, मुस्कान की खूबसूरत हँसी और उसकी यादों के साथ। अब तो अमोल का नजर पूरे दिन अपने मोबाइल कि स्क्रीन पर होता। जब भी किसी नए नंबर से उसके मोबाइल पर कॉल आता तो उसे ये सोचकर रिसीव करता कि मुस्कान होगी पर उनमे से कोई मुस्कान का कॉल नही होता। ऐसे ही कई दिन बीत गए। अमोल को गुस्सा भी आता कि वो इतना नीच कैसे हो गया, वो मुस्कान को नंबर दिया क्यों। 

एक दिन रात के १० बजे अमोल का फोन घनघनाने लगा, स्क्रीन पर नया नंबर फ्लैश हो रहा था। अमोल ने हरे बटन को दबाकर स्पीकर को कान से लगाकर बोला, “हैलो.......” 

“हैलो, मैं मुस्कान............”, बेहद संजीदगी से एक मीठी सी आवाज आई। 

फिर तो अमोल के खुशी का ठिकाना ना रहा, उसकी सारी फिक्र जाती रही और बातें होने लगी। 


बस ऐसे हुआ अमोल और मुस्कान के बीच प्यार.......................

#पल_भर_का_प्यार (‪#‎Momentary_Love‬), stories with emotion, a new series in my writing skill. ये संग्रह साधारण लड़के/लड़कियों के ज़िंदगी के कुछ छोटे-मोटे पलों को बयां करती है। जिसे पढ़कर शायद आपके चेहरें पर एक छोटी सी मुस्कान आ जाए और आप भी बुदबुदाने लगे, “यार अपने साथ भी कभी ऐसा हुआ था”।


इस संग्रह के किसी भी कहानी को दूसरे कहानी से जोड़कर ना पढ़े, हर एक भाग एक नई कहानी है, किसी भी कहानी का इस संग्रह के दूसरे कहानियों से कोई ताल्लुकात नही है सिवाय प्यार, कुछ नाम और शीर्षक ‘पल भर का प्यार’ के......... और मैं आप मे से कुछ लोगो के उलझन को दूर कर दूँ, इन कहानियों मे से कुछ मेरी खुद की हैं, तो कुछ मेरे दोस्तो की है (जिन्होने मुझसे अपने दिल-ए-हालत साझा किया है), कुछ मेरे दिमाग की उपज है।

#राजेश्वर_सिंह (#RajeshwarSingh)

Saturday, August 29, 2015

पल भर का प्यार‬: ६

‪#‎पल_भर_का_प्यार‬: ६

अमोल और मुस्कान की दोस्ती फेसबूक पर हुई थी। दोनों एक ही शहर से थे और इत्तेफाकन एक ही कॉलेज से भी। उनकी कॉलेज के दिनों मे कभी हाय-हैलो नही हुई थी पर कॉलेज से निकलने के बाद दोनों एक दूसरे से लंबी-लंबी चैट किया करते थे, एक दूसरे के हालचाल से लेकर अपने अरमान और चाहत सब एक दूसरे से शेयर करते। मुस्कान दुनिया की खूबसूरत लड़कियों मे से एक थी तो अमोल का व्यक्तित्व हंसमुख स्वभाव वाला और दिखने मे आकर्षक था। वो फेसबूक पर बातें करते थे पर मोबाइल पर कभी-कभार ही बात हो पाती थी। फिर भी मुस्कान, अमोल के डिनर से लेकर उसके तबीयत और घूमने फिरने सभी का ख्याल रखती थी तो अमोल मुस्कान के हँसी को बरकरार रखता था।


पिछले फ्रेंडशिप डे के दिन अमोल ने मुस्कान के मोबाइल नंबर पर कॉल किया, मुस्कान ने फोन रिसीव किया और पूछी, “हैलो, कौन?”
“मैं”, अमोल बोला। 
“मैं कौन”, मुस्कान थोड़े गुस्से मे बोली। 
“पहचानो तो जाने”, अमोल छेड़ते हुए बोला।
“नाम बताओ कौन बोल रहे हो”, मुस्कान का गुस्सा सिर चढ़ने लगा। 
“अरे पहचान लो…………. मैं हूँ............”, अमोल और परेशान करते हुए बोला। 
“तुम हो, नाटक मत करो”, मुस्कान बोली और बोलती ही गई, “मेरे हाथों से पिटोगे तुम, मैं मारूंगी तुमको, तुम मुझे परेशान करने के लिए नंबर बदल-बदल कर फोन करते हो”।
अमोल हँसने लगा और उसके ठहाके मोबाइल के माइक से होते हुए मुस्कान के कानो को सुनाई दे रहे थे और मुस्कान अभी भी बोले जा रही थी, “तुम जानते हो ना, जब इस ढाई किलो के हाथ से कोई मार खाता है तो वो उठता नही, उठ जाता है................... तुम भी उठ जाओगे समझे.............. ये नंबर बदल-बदल कर क्यूँ फोन करते हो.......... सुधर जाओ...........।”

अमोल असमंजस मे पड़ गया कि मुस्कान इतने शक्ति मे कैसे आ गई, वो तो उससे बहुत ही सलीके से बात करती थी और अपनी पहचान बता दी, “मैं अमोल बोल रहा हूँ....... और हॅप्पी फ्रेंड्शिप डे।”

अमोल इतना बोला था कि मुस्कान का चेहरा के हाव भाव बदल गए। अपने चेहरे की परेशानी छिपाते हुए बोली, “सॉरी अमोल, मुझे लगा कि मेरा भाई है जो अलग अलग नंबर से फोन कर रहा है................. और............... हॅप्पी फ्रेंड्शिप तुमको भी.........।” 
“कोई बात नही यार............ पर ढाई किलो का हाथ से पिटोगी मुझे!”, अमोल चिढ़ाते हुए बोला। 
“तुम भी अमोल......... वैसे मैं अपने शब्दों की वजह से बहुत लज्जित हूँ, मुझे माफ कर देना”, मुस्कान संजीदा होते हुए बोली। 
“चल पगली, तुम परेशान ना हो........ और आज के दिन चॉक्लेट खा लेना मेरी तरफ से”, अमोल मुसकुराते हुए बोला।
“कौन सी”, बोलते हुए मुस्कान हँस रही थी। 
“कोई भी, जो तुम्हें अच्छा लगे”, अमोल बोला।
“मैं पाँच रुपये वाला ले लूँगी, पर तुम एक बड़ा पैकेट केडबरी सिल्क का खिलाओगे मिलने पर”, मुस्कान हँसे जा रही थी। 
“एकदम मुस्कान, जब भी मिलूंगा, ले लेना मुझे चॉक्लेट”, अमोल भी मुस्कुरा रहा था।
फिर दोनों ने एक दूसरे से फोन पर विदा ली और एक दूसरे को ज़िंदगी के लिए शुभकामनाए दिए। 
अब जब भी बात करते है तो अमोल छेड़ते हुए कहता है, “ढाई किलो का हाथ!”
और मुस्कान मुस्कुराते हुए कहती है, “मिलो तब तो दिखेगा ढाई किलो का हाथ।”

फिर अमोल “ढाई किलों की तुम नही होगी, फिर तुम्हारा हाथ ढाई किलो का कैसे?” बोलता है और मुस्कान हँसते हुए कहती है, “अब मैं पहले से बेहतर हो गई हूँ...... अब तो तुमको पिटूँगी भी.............”

बस ऐसी है अमोल और मुस्कान की दोस्ती में प्यार .......................

#पल_भर_का_प्यार (‪#‎Momentary_Love‬), stories with emotion, a new series in my writing skill. ये संग्रह साधारण लड़के/लड़कियों के ज़िंदगी के कुछ छोटे-मोटे पलों को बयां करती है। जिसे पढ़कर शायद आपके चेहरें पर एक छोटी सी मुस्कान आ जाए और आप भी बुदबुदाने लगे, “यार अपने साथ भी कभी ऐसा हुआ था”।

इस संग्रह के किसी भी कहानी को दूसरे कहानी से जोड़कर ना पढ़े, हर एक भाग एक नई कहानी है, किसी भी कहानी का इस संग्रह के दूसरे कहानियों से कोई ताल्लुकात नही है सिवाय प्यार, कुछ नाम और शीर्षक ‘पल भर का प्यार’ के......... और मैं आप मे से कुछ लोगो के उलझन को दूर कर दूँ, इन कहानियों मे से कुछ मेरी खुद की हैं, तो कुछ मेरे दोस्तो की है (जिन्होने मुझसे अपने दिल-ए-हालत साझा किया है), कुछ मेरे दिमाग की उपज है।

#राजेश्वर_सिंह (#RajeshwarSingh)