Saturday, August 29, 2015

पल भर का प्यार‬: ६

‪#‎पल_भर_का_प्यार‬: ६

अमोल और मुस्कान की दोस्ती फेसबूक पर हुई थी। दोनों एक ही शहर से थे और इत्तेफाकन एक ही कॉलेज से भी। उनकी कॉलेज के दिनों मे कभी हाय-हैलो नही हुई थी पर कॉलेज से निकलने के बाद दोनों एक दूसरे से लंबी-लंबी चैट किया करते थे, एक दूसरे के हालचाल से लेकर अपने अरमान और चाहत सब एक दूसरे से शेयर करते। मुस्कान दुनिया की खूबसूरत लड़कियों मे से एक थी तो अमोल का व्यक्तित्व हंसमुख स्वभाव वाला और दिखने मे आकर्षक था। वो फेसबूक पर बातें करते थे पर मोबाइल पर कभी-कभार ही बात हो पाती थी। फिर भी मुस्कान, अमोल के डिनर से लेकर उसके तबीयत और घूमने फिरने सभी का ख्याल रखती थी तो अमोल मुस्कान के हँसी को बरकरार रखता था।


पिछले फ्रेंडशिप डे के दिन अमोल ने मुस्कान के मोबाइल नंबर पर कॉल किया, मुस्कान ने फोन रिसीव किया और पूछी, “हैलो, कौन?”
“मैं”, अमोल बोला। 
“मैं कौन”, मुस्कान थोड़े गुस्से मे बोली। 
“पहचानो तो जाने”, अमोल छेड़ते हुए बोला।
“नाम बताओ कौन बोल रहे हो”, मुस्कान का गुस्सा सिर चढ़ने लगा। 
“अरे पहचान लो…………. मैं हूँ............”, अमोल और परेशान करते हुए बोला। 
“तुम हो, नाटक मत करो”, मुस्कान बोली और बोलती ही गई, “मेरे हाथों से पिटोगे तुम, मैं मारूंगी तुमको, तुम मुझे परेशान करने के लिए नंबर बदल-बदल कर फोन करते हो”।
अमोल हँसने लगा और उसके ठहाके मोबाइल के माइक से होते हुए मुस्कान के कानो को सुनाई दे रहे थे और मुस्कान अभी भी बोले जा रही थी, “तुम जानते हो ना, जब इस ढाई किलो के हाथ से कोई मार खाता है तो वो उठता नही, उठ जाता है................... तुम भी उठ जाओगे समझे.............. ये नंबर बदल-बदल कर क्यूँ फोन करते हो.......... सुधर जाओ...........।”

अमोल असमंजस मे पड़ गया कि मुस्कान इतने शक्ति मे कैसे आ गई, वो तो उससे बहुत ही सलीके से बात करती थी और अपनी पहचान बता दी, “मैं अमोल बोल रहा हूँ....... और हॅप्पी फ्रेंड्शिप डे।”

अमोल इतना बोला था कि मुस्कान का चेहरा के हाव भाव बदल गए। अपने चेहरे की परेशानी छिपाते हुए बोली, “सॉरी अमोल, मुझे लगा कि मेरा भाई है जो अलग अलग नंबर से फोन कर रहा है................. और............... हॅप्पी फ्रेंड्शिप तुमको भी.........।” 
“कोई बात नही यार............ पर ढाई किलो का हाथ से पिटोगी मुझे!”, अमोल चिढ़ाते हुए बोला। 
“तुम भी अमोल......... वैसे मैं अपने शब्दों की वजह से बहुत लज्जित हूँ, मुझे माफ कर देना”, मुस्कान संजीदा होते हुए बोली। 
“चल पगली, तुम परेशान ना हो........ और आज के दिन चॉक्लेट खा लेना मेरी तरफ से”, अमोल मुसकुराते हुए बोला।
“कौन सी”, बोलते हुए मुस्कान हँस रही थी। 
“कोई भी, जो तुम्हें अच्छा लगे”, अमोल बोला।
“मैं पाँच रुपये वाला ले लूँगी, पर तुम एक बड़ा पैकेट केडबरी सिल्क का खिलाओगे मिलने पर”, मुस्कान हँसे जा रही थी। 
“एकदम मुस्कान, जब भी मिलूंगा, ले लेना मुझे चॉक्लेट”, अमोल भी मुस्कुरा रहा था।
फिर दोनों ने एक दूसरे से फोन पर विदा ली और एक दूसरे को ज़िंदगी के लिए शुभकामनाए दिए। 
अब जब भी बात करते है तो अमोल छेड़ते हुए कहता है, “ढाई किलो का हाथ!”
और मुस्कान मुस्कुराते हुए कहती है, “मिलो तब तो दिखेगा ढाई किलो का हाथ।”

फिर अमोल “ढाई किलों की तुम नही होगी, फिर तुम्हारा हाथ ढाई किलो का कैसे?” बोलता है और मुस्कान हँसते हुए कहती है, “अब मैं पहले से बेहतर हो गई हूँ...... अब तो तुमको पिटूँगी भी.............”

बस ऐसी है अमोल और मुस्कान की दोस्ती में प्यार .......................

#पल_भर_का_प्यार (‪#‎Momentary_Love‬), stories with emotion, a new series in my writing skill. ये संग्रह साधारण लड़के/लड़कियों के ज़िंदगी के कुछ छोटे-मोटे पलों को बयां करती है। जिसे पढ़कर शायद आपके चेहरें पर एक छोटी सी मुस्कान आ जाए और आप भी बुदबुदाने लगे, “यार अपने साथ भी कभी ऐसा हुआ था”।

इस संग्रह के किसी भी कहानी को दूसरे कहानी से जोड़कर ना पढ़े, हर एक भाग एक नई कहानी है, किसी भी कहानी का इस संग्रह के दूसरे कहानियों से कोई ताल्लुकात नही है सिवाय प्यार, कुछ नाम और शीर्षक ‘पल भर का प्यार’ के......... और मैं आप मे से कुछ लोगो के उलझन को दूर कर दूँ, इन कहानियों मे से कुछ मेरी खुद की हैं, तो कुछ मेरे दोस्तो की है (जिन्होने मुझसे अपने दिल-ए-हालत साझा किया है), कुछ मेरे दिमाग की उपज है।

#राजेश्वर_सिंह (#RajeshwarSingh)

Wednesday, July 1, 2015

पल भर का प्यार‬: ५

‪#‎पल_भर_का_प्यार‬: ५


अमोल ऑफिस मे अपने कार्यों मे व्यस्त था कि उसका मोबाइल घनघनाने लगा, स्क्रीन पर उसके दोस्त प्रणव का फोटो और नाम छपा था। अमोल ने हरे बटन को दबाया और स्पीकर कान के पास लगाया ही था कि, “ओए तुम्हें पता है, मैं कहाँ हूँ?”, प्रणव का उल्लास मे लबालब आवाज आया। 
“हाँ, पता है,” अमोल मुसकुराते हुये बोला। 
“कहाँ”, प्रणव जान गया कि अमोल समझ गया है फिर भी जानबूझ कर पूछा। 
“तुमने पाव भाजी और मैंगो शेक का ऑर्डर दिया है,” अमोल ने उत्तर दिया। 
“हाँ, तुमने तो पहचान लिया”, प्रणव बोला और हालचाल पूछने लगा, “और बताओ कहाँ हो? क्या हो रहा है?”


प्रणव से बातें करने के बाद अमोल कुर्सी पर बैठे बैठे कुछ सोचते हुये मुस्कुराने लगा ..................

उस समय अमोल इंजीन्यरिंग की पढ़ाई अपने शहर से कर रहा था। प्रणव उसका सबसे करीबी का दोस्त था। दोनों की दोस्ती बहुत पक्की थी। जब कॉलेज बंद होता तब भी दोनों दिन भर या तो शहर मे घूम रहे होते या फिर अमोल के कमरे मे बैठे पिक्चर देख रहे होते।

शुक्रवार का दिन था, शाम के वक़्त प्रणव का मोबाइल घनघना उठा, देखा तो अमोल का नंबर फ्लैश हो रहा था। प्रणव ने कॉल रिसीव किया और पूछा, “क्या हुआ?”
“गोलघर जाना है, कपड़े लेना है”, अमोल ने उत्तर दिया। 
“दिन भर कॉलेज मे साथ थे, तब नही बोल सकता था, अब घर आने के बाद बता रहा है”, प्रणव गुस्से से बोल रहा था। 
“अरे यार तू आ जा ना, मैं तेरा प्रतीक्षा कर रहा हूँ”, अमोल बोला। 
“चल ठीक है आधे घंटे मे पहुँच रहा हूँ”, प्रणव बोला।

४५ मिनट बाद दोनों साथ मे थे, गोलघर से कपड़े खरीदे और वापस लौटने के लिए प्रणव बाइक स्टार्ट किया तो अमोल चिल्लाया, “अबे अपने अड्डे पर चल, कुछ खाना है”। 
प्रणव ने बाइक मोड़ी और दोनों उस दुकान पर पहुँच गए, जहाँ वो अक्सर शाम गुजारा करते थे। दो मैंगो शेक और एक प्लेट पाव भाजी का ऑर्डर देकर अमोल और प्रणव दोनों एक मेज के साथ लगी कुर्सियों पर बैठ गए।
फिर दोनों बातें करने लगे कि अचानक अमोल बोला, “यार आज के बाद ना जब भी हम मे से कोई भी, कभी भी इस दुकान पर आएगा तो, दूसरे को फोन ज़रूर करेगा।“

और आज प्रणव उस दुकान पर था.................

बस ऐसी ही है अमोल और प्रणव कि प्यारी सी दोस्ती.......................

#पल_भर_का_प्यार (‪#‎Momentary_Love‬), stories with emotion, a new series in my writing skill. ये संग्रह साधारण लड़के/लड़कियों के ज़िंदगी के कुछ छोटे-मोटे पलों को बयां करती है, जिसे उन्होने कभी किसी से साझा नही किया, एक दूसरे से भी नही, शायद खुद से भी नही। इस संग्रह को पढ़कर आपके चेहरो पर एक छोटी सी मुस्कान आ ही जाएगी और आप भी बुदबुदाने लगेंगे, “यार अपने साथ भी कभी ऐसा हुआ था”।

नोट:- इस संग्रह के किसी भी कहानी को दूसरे कहानी से जोड़कर ना पढ़े, हर एक भाग एक नई कहानी है, किसी भी कहानी का इस संग्रह के दूसरे कहानियों से कोई ताल्लुकात नही है सिवाय प्यार, कुछ नाम और शीर्षक ‘पल भर का प्यार’ के.........