Tuesday, May 17, 2016

पल भर का प्यार‬: ८

#पल_भर_का_प्यार‬: ८




फेसबुक भी क्या ग़जब का प्लेटफार्म है, जो रूठो को मना देता है तो वहीं रिश्तों में दरार बना देता है, पल में हँसा देता है, तो रुलाने में भी वक्त नही लगाता, चाहने वाला रिप्लाई नही कराता और बुरे लोगो से पीछा नही छुड़ाता। काश फेसबुक एक इंसान मनोभावों को समझता और रिश्तों को और सुलझाता। खैर अमोल की मुलाकात मुस्कान से काफी दिनों के बाद एक दोस्त के शादी में हुई। दोनों एक ही कॉलेज में पढ़े थे, अंतिम मुलाकात के समय दोनों में काफी झगड़ा हो गया था। बात बस इतनी थी कि अमोल अपने आदत (दोस्तों को तंग करना) के अनुसार मुस्कान को चिढ़ा दिया था, चुहिया कहकर। उस झगडे के बाद दोनों अपने जिंदगी में व्यस्त हो गए। 
कॉलेज के कई साल गुजर गए थे, अमोल अपने एक दोस्त की शादी में दूसरे करीबी दोस्त के साथ बातचीत में मशगूल था कि पीछे से एक आवाज़ आई ,"और हीरो क्या हाल चाल?"
अमोल और उसकी करीबी दोस्त दोनों ने पीछे मुड़कर देखा तो कॉलेज के दोस्तों का एक झुण्ड था, सब बहुत गर्मजोशी से मिले। उसी में मुस्कान भी थी, सबने हाथ मिलाकर और गले मिलकर अपने ख़ुशी को बयां किया। अंतिम में अमोल और मुस्कान की नजरें मिली, लड़ाई के वक़्त दोनों ने एक दूसरे से कभी ना बात करने की प्रतिज्ञा ली थी, जिसके कारण अमोल ने फिर से खिंचाई करते हुए बोला, "क्या बात है बड़े लोग भी आये है.....!"
"हाँ हाँ क्यों नहीं..... केवल तुम्ही आ सकते हो क्या?",  मुस्कान बोली फिर से मुँह बना ली। इस बार कॉलेज जैसा रुआँसा नहीं हुई थोड़ा मुस्कुराई  भी थी। 
"तुम लोग फिर से शुरू हो गए......... यार अब तो बच्चे ना बनों.......", एक दोस्त ने डांटा, इसके बाद अमोल और मुस्कान ने हाथ मिलाए। 
बातों बातों में दोनों ने एक दूसरे का कुशल-क्षेम पूछा। फिर बाकी के समय दोनों अपने अपने करीबी मित्र के साथ व्यस्त रहें। 

शादी को गुजरे कई महीने हुए फिर फेसबुक पर अमोल को मुस्कान का फ्रेंड रिक्वेस्ट आया, अमोल ने एक्सेप्ट कर लिया। फिर दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। अब जब भी वक़्त होता है दोनों बातें करते है। आखिरकार अमोल और मुस्कान की नफरत और दुश्मनी का रिश्ता दोस्ती में बदल गया। 




#पल_भर_का_प्यार (‪#‎Momentary_Love), stories with emotion, a new series in my writing skill. ये संग्रह साधारण लड़के/लड़कियों के ज़िंदगी के कुछ छोटे-मोटे पलों को बयां करती है। जिसे पढ़कर शायद आपके चेहरें पर एक छोटी सी मुस्कान आ जाए और आप भी बुदबुदाने लगे, “यार अपने साथ भी कभी ऐसा हुआ था”।

इस संग्रह के किसी भी कहानी को दूसरे कहानी से जोड़कर ना पढ़े, हर एक भाग एक नई कहानी है, किसी भी कहानी का इस संग्रह के दूसरे कहानियों से कोई ताल्लुकात नही है सिवाय प्यार, कुछ नाम और शीर्षक ‘पल भर का प्यार’ के......... और मैं आप मे से कुछ लोगो के उलझन को दूर कर दूँ, इन कहानियों मे से कुछ मेरी खुद की हैं, तो कुछ मेरे दोस्तो की है (जिन्होने मुझसे अपने दिल-ए-हालत साझा किया है), कुछ मेरे दिमाग की उपज है।

#राजेश्वर_सिंह (#RajeshwarSingh)

Sunday, May 8, 2016

माँ के ममता को नमन!




मातृ दिवस पर विश्व के सभी नारी जाति के मातृत्व को प्रणाम और शत् शत् नमन, वंदन.......

माँ, शब्द सबसे पहले मैंने सीखा था
माँ, एहसास सबसे पहले मैंने समझा था
माँ, लफ्ज़ सबसे पहले मैंने बोला था
आपने ही तो माँ शब्द सिखाया था
शायद माँ शब्द मैंने पहले लिखा था
आपने अपनी उंगलियों से ही लिखाया था
जब मै अपना पहला पग चला था
आपने ही ऊँगली पकड़ चलाया था
माँ, आप ही मेरी पहली प्रेमिका हो
माँ, आप ही मेरी सहेली हो 
माँ, आप ही मेरी जीवनदायिनी हो
माँ, आप ही मेरी ईश्वर हो
जीवन में आप जैसा स्नेह, 
आप जैसा प्यार
कोई नही दे सकता, 
और ना ही दे सका
मेरी इच्छा-अनिच्छाओ को, 
अपना बनाने वाली
मेरे दुःख-दर्द में, 
सहभागी बनने वाली
मुझको नींद ना आने पर, 
खुद पूरी रात जागने वाली
माँ, आप ही हो जिनका,
मुझ पर पूरा प्रभाव है
माँ, आपकी महिमा, सरलता
शब्दों में ना लिख सकता
और ना ही
भाषा में व्यक्त कर सकता हूँ
आपका स्नेह, दुलार
आदर प्यार
यही तो है जो आगे बढ़ा रहा है
और मै आगे बढ़ रहा हूँ
मेरे लिए ना जाने कितने
आप व्रत रहती है, पूजा करती है
मुझे सफल बनाने के लिए
भगवान से मिन्नतें मांगती है
माँ, आपके कारण मै हूँ
माँ, आपसे ही मै हूँ 
माँ, आपका ही मै हूँ 
माँ, आपके लिए मै हूँ 


मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ:-
मातृ देवोः भवः!!!!
#राजेश्वर_सिंह (#RajeshwarSingh)

©www.rajeshwarsh.blogspot.in