#पल_भर_का_प्यार: ४
एक बार की बात है, अमोल की तबीयत थोड़ी खराब थी। वो दिल्ली जैसे बड़े शहर मे अकेले रहता था। वो अपने तबीयत के बारे मे अपने परिवार को कुछ नही बताया कि वो कहीं परेशान न हो जाये। माँ से तो हर रोज की तरह उस दिन भी बात किया, पर हमेशा की तरह अपने दर्द को अपनी मुस्कुराहट, हंसी मे छुपा लिया, और अपनी आदत के अनुसार फेसबूक पर अपडेट कर दिया, “suffering from fever”।
शाम को अमोल के फोन का रिंगटोन बजने लगा, वो बिस्तर पर चद्दर ओढ़े पड़ा था। दिन भर शरीर बुखार से तप रहा था, दवा अपना असर धीमे गति से कर रही थी। चूंकि फोन मुस्कान का था वो उस कॉल का उत्तर देने के लिए खुद को सामान्य करते हुये, बिस्तर पर ही बैठ गया।
मोबाइल पर बने हरे बटन को दबाया और स्पीकर कान के पास लगाया।
“मैं तो तुम्हारी कुछ नही हूँ ना………”, मुस्कान गुस्से मे बोल रही थी, “मुझे तो तुम अपना समझते ही नही हो.............. सही है.......... अभी कैसे हो???? कहाँ हो????”
मुस्कान अपने गुस्से के गुबार के साथ अपने फिक्रमंद हाव-भाव से बोले जा रही थी।
“यार........”, अमोल बोलने वाला ही था कि फिर से मुस्कान की आवाज स्पीकर से आने लगी, “तुम दवा लिए की नही? कहाँ हो? अपना ख्याल रखा करो”।
अमोल मुस्कान से ना बताने के लिए माफी मांगा, “यार मैं तुम्हें परेशान नही करना चाहता था, गर मैं तुमको बताता तो तुम झूठ मे ही परेशान होती” और मन ही मन ये सोचकर मुस्कुराने लगा कि ये पगली भी बड़ी अजीब है, जो भी है, अपनी है.............
बस इतनी सी है अमोल और मुस्कान की लव स्टोरी!!!!
#पल_भर_का_प्यार (#Momentary_Love), stories with emotion, a new series in my writing skill. ये संग्रह साधारण लड़के/लड़कियों के ज़िंदगी के कुछ छोटे-मोटे पलों को बयां करती है, जिसे उन्होने कभी किसी से साझा नही किया, एक दूसरे से भी नही, शायद खुद से भी नही। इस संग्रह को पढ़कर आप जैसे कुछ साधारण इन्सानो के चेहरो पर एक छोटी सी मुस्कान आ जाये और आप भी बुदबुदाने लगे, “यार अपने साथ भी कभी ऐसा हुआ था”।
नोट:- इस संग्रह के किसी भी कहानी को दूसरे कहानी से जोड़कर ना पढ़े, हर एक भाग एक नई कहानी है, किसी भी कहानी का इस संग्रह के दूसरे कहानियों से कोई ताल्लुकात नही है सिवाय प्यार, कुछ नाम और शीर्षक ‘पल भर का प्यार’ के.........
#राजेश्वर_सिंह (#RajeshwarSingh)